बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। समय नजदीक आता जा रहा है। यह अलग बात है कि अभी तक बिहार में वैध मतदाता सूची नहीं है। चुनाव आयोग 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करेगा और उसके बाद चुनाव की घोषणा होगी। पार्टियों में सीट बंटवारे की भी बातचीत नहीं हुई है और जो भी होगा वह 22 सितंबर से नवरात्र शुरू होने के बाद ही होगा। इस बीच मतदाता सूची से लेकर सीट बंटवारे तक अनेक कहानियां चल रही हैं। इसमें एक कहानी यह है कि एनडीए की दो बड़ी पार्टियों यानी भाजपा और जनता दल यू के ज्यादातर बड़े नेता विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। एनडीए की छोटी सहयोगी पार्टियों के नेता तो लड़ेंगे। यहां तक लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के नेता चिराग पासवान भी विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि वे केंद्रीय मंत्री हैं। लेकिन भाजपा और जदयू में बड़े नेता और मुख्यमंत्री पद के लगभग सभी दावेदार चुनाव नहीं लड़ेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ते हैं। अरसा हो गया उनको चुनाव लड़े। किसी जमाने में वे नालंदा की हरनौत सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ते थे। अब वे विधान परिषद के सदस्य बनते हैं। इस बार भी वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनके उप मुख्यमंत्री और सरकार के नंबर दो मंत्री सम्राट चौधरी भी विधान परिषद के सदस्य हैं और वे भी इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। दूसरे उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा जरूर अपनी लखीसराय सीट से चुनाव लड़ेंगे लेकिन नेता के तौर पर पार्टी में या एनडीए में उनकी कोई खास पहचान नहीं है। इस बार लखीसराय की लड़ाई उनके लिए इस कारण से मुश्किल लग रही है कि सहयोगी पार्टी जनता दल यू के बड़े नेता ने उनको हरवाने की कसम खाई है। उनका भी उस इलाके में अच्छा खासा असर है। जदयू नेताओं के साथ विजय सिन्हा के झगड़े सबको पता हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा जनता दल यू के बड़े नेताओं में इक्का दुक्का नेता ही चुनाव लड़ेंगे। पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा चुनाव नहीं लड़ेंगे। वे लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन भाजपा के साथ तालमेल में उनकी दरभंगा सीट भाजपा के खाते में ही रहती है। एक बार जब जनता दल यू भाजपा से अलग होकर लड़ी तो 2014 में वे जदयू से लड़े थे लेकिन जीत नहीं पाए थे। वे राज्यसभा सांसद हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं। उनको भी चुनाव नहीं लड़ना है। पार्टी के महासचिव मनीष वर्मा चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन उनके लिए सीट तय नहीं है। इसलिए उनके भी चुनाव लड़ने की संभावना कम है। पार्टी के दूसरे महासचिव और राज्य सरकार के मंत्री अशोक चौधरी भी विधान परिषद के सदस्य हैं और उनके भी विधानसभा का चुनाव लड़ने की कोई संभावना नहीं है। जदयू की ओर से पहले कतार के नेताओं में से सिर्फ विजय चौधरी चुनाव लड़ेंगे। दूसरी ओर राजद और कांग्रेस गठबंधन में या प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में सारे नेता चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। तेजस्वी यादव, राजेश राम, मुकेश सहनी सब लड़ेंगे तो प्रशांत किशोर के लिए भी दो सीटें तय की जा रही हैं, जहां से वे विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।


