केंद्र सरकार की दो सहयोगी पार्टियों जनता दल यू और टीडीपी का फर्क कई तरीके से जाहिर हो रहा है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का भी फर्क साफ साफ दिख रहा है। नायडू जो चाहते हैं वह केंद्र सरकार से करवा रहे हैं, जबकि नीतीश पूरी तरह से असहाय होकर भाजपा पर निर्भर दिख रहे हैं। आंध्र प्रदेश को दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाएं मिली हैं और नायडू ने अपनी पार्टी के नेता अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल भी बनवा लिया। अब नायडू की पार्टी ने चुनाव आयोग की ओर से बिहार में चलाए जा रहे विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण पर सवाल उठाया है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। ऐसा लग रहा है कि नायडू की पार्टी नीतीश की तरह चुपचाप इस प्रक्रिया को स्वीकार नहीं करेगी।
नायडू की पार्टी टीडीपी ने इस प्रक्रिया की खामियों की ओर इशारा किया है। पार्टी ने कहा है कि मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए ज्यादा समय दिया जाना चाहिए। ध्यान रहे बिहार की सभी विपक्षी पार्टियों ने भी इस पर सवाल उठाया कि एक महीने का समय बहुत कम है। नायडू की पार्टी ने यह भी कहा कि मतदाताओं पर नागरिकता साबित करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए। बताया जा रहा है कि मतदाताओं पर अपनी नागरिकता साबित करने के दस्तावेज जमा कराने के चुनाव आयोग के निर्देश से नायडू खुश नहीं हैं। उनकी पार्टी ने कहा है कि आयोग ने इसके लिए जो मानक तय किए हैं उनके कुछ ढील देनी होगी। भाजपा का सहयोगी होने के बावजूद उन्होंने आयोग की प्रक्रिया के व्यावहारिक पक्ष पर सवाल उठाया है।