यह बहुत हैरान करने वाली बात है लेकिन सही है कि चीन ने भी भारत पर कई तरह की आर्थिक पाबंदियां लगाई हैं। एक तरफ अमेरिका पाबंदी लगाने की धमकी दे रहा है। दूसरी ओर नेटो भी धमका रहा है कि सेकेंडरी पाबंदी लगा देंगे और उधर चीन ने भारत पर आर्थिक पाबंदी लगाई और साथ ही क्रिटिकल कंपोनेंट यानी अलग अलग सेक्टर में उत्पादन से जुड़ी जरूरी वस्तुओं या पार्ट पुर्जों के निर्यात पर रोक लगा दी है। ध्यान रहे भारत में खेती किसानी के काम में इस्तेमाल होने वाली मशीनों और फार्मा उद्योग से लेकर ऑटोमोबाइल और सेमीकंडक्टर के मामले में ज्यादातर चीजें चीन से आती हैं। इसके अलावा रेयर अर्थ मैटेरियल भी चीन से आता है। उसने इनमें से अनेक उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी लगाई है या उनको नियंत्रित किया है।
पिछले दिनों खबर आई थी कि चीन ने भारत में एपल के आईफोन बनाने वाली विनिर्माण ईकाई में काम करने वाले चीनी इंजीनियरों को वापस बुला लिया था। इसका मकसद आईफोन के निर्माण की गति को प्रभावित करना था। हालांकि भारत की ओर से कहा गया है कि इंजीनियरों की पर्याप्त संख्या है और निर्माण प्रभावित नहीं होगा। फिर भी यह हकीकत तो जाहिर हो गई कि चीन दुश्मनी पाले हुए है और भारत को आर्थिक झटका देना चाहता है। एक तरफ रूस का साथ देने की वजह से भारत पिछले कुछ दिनों से अमेरिका और नाटो के निशाने पर आया हुआ है लेकिन रूस भी भारत की मदद के लिए आगे नहीं आया है। उसने चीन को नहीं समझाया है कि भारत के प्रति पाबंदी की नीति नहीं अपनाए। इस बीच खबर आई कि भारत में इलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला का पहला शोरूम मुंबई में खुल गया है। उसमें टेस्ला के वाई मॉडल की कारें बिकेंगी, जो चीन में बनती हैं। यानी अमेरिकी कंपनी की चीन में बनी कार भारत में बेची जाएगी और अमेरिका व चीन दोनों भारत को धमकी भी देंगे, आर्थिक पाबंदी भी लगाएंगे, टैरिफ भी बढाएंगे। सोचें यह क्या कूटनीति है?