तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी के नंबर दो नेता अभिषेक बनर्जी विदेश में हैं। पहलगाम हमले के बाद हुई सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष दुनिया को बताने गए सरकारी डेलिगेशन में अभिषेक भी गए हैं। ममता बनर्जी ने खुद इस अभियान के लिए अपने भतीजे का चयन किया।
सरकार ने तो पहली बार के सांसद यूनुस पठान को चुना था। उधर अभिषेक दुनिया के देशों के बीच भारत का पक्ष रख रहे हैं और भारतीय सेना के शौर्य का गुणगान कर रहे हैं तो इधर देश में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ममता बनर्जी को निशाना बनाया। शाह ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी पहलगाम कांड पर चुप रहीं और ऑपरेशन सिंदूरर का विरोध किया। शाह का कहना है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ममता बनर्जी ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया।
अभिषेक सरकार की लाइन पर सवाल कायम
हालांकि वास्तविकता यह है कि ममता बनर्जी ने खुल कर ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया था। वे तिरंगा लेकर सड़क पर उतरी थीं। उन्होंने एक अखबार में छपी खबर के आधार पर इस बात का विरोध किया था कि सरकार घर घर सिंदूर बांटने की योजना बना रही है। बहरहाल, उधर अभिषेक बनर्जी ने भारत का पक्ष रखते हुए दुनिया के देशों से कहा कि अब पाकिस्तान के साथ भारत की वार्ता सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके के मसले पर होगी। उन्होंने विशुद्ध रूप से सरकार की लाइन फॉलो की।
लेकिन यहां सरकार के सर्वोच्च नेता ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर ऑपरेशन सिंदूर का विरोध करने के आरोप लगा रहे हैं। सरकार थोड़ा इंतजार कर सकती थी। पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिक लाभ लेने के लिए बेचैन भाजपा ने विदेश गए डेलिगेशन के लौटने का भी इंतजार नहीं किया। उससे पहले ही उन तमाम विपक्षी पार्टियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया, जिनके सांसदों और नेता को उसने विदेश में भारत का पक्ष रखने को भेजा है। सोचें, जब उनके ऊपर भारत में हमला होगा और उनके ऑपरेशन सिंदूर का विरोधी बताया जाएगा तो विदेश जाकर ऑपरेशन सिंदूर में कही गई उनकी बात पर कौन भरोसा करेगा?
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