भारतीय जनता पार्टी में संगठन का चुनाव स्थगित है। महीनों से इस दिशा में कोई प्रगति नहीं है। रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महासचिवों के साथ एक बैठक की, जिसमें बताया जा रहा है कि संगठन चुनावों को लेकर चर्चा हुई। जानकार सूत्रों के मुताबिक नड्डा ने महासचिवों से कहा कि वे अपने अपने प्रभार वाले राज्य में संगठन चुनाव पूरे कराएं। लेकिन सवाल है कि क्या महासचिव ही प्रदेश अध्यक्ष तय करेंगे? प्रदेश अध्यक्षों का नाम तो पार्टी आलाकमान को तय करना है। महासचिव तो उसके बाद उस तय किए गए व्यक्ति के नाम पर मुहर लगवाते हैं। अभी जब पार्टी आलाकमान ने बड़े राज्यों में अध्यक्ष का नाम ही तय नहीं किया है तो महासचिव कैसे चुनाव कराएंगे? ध्यान रहे भाजपा ने कुछ राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए हैं लेकिन ज्यादातर बड़े राज्यों में पुराने अध्यक्ष काम कर रहे हैं और आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
जानकार सूत्रों का कहना है कि कहीं नेतृत्व का टकराव है तो कहीं राजनीतिक समीकरण के लिहाज से उपयुक्त व्यक्ति नहीं मिल रहा है। मिसाल के तौर पर उत्तर प्रदेश में भूपेंद्र चौधरी की जगह नया अध्यक्ष बनाने की चर्चा छह महीने से ज्यादा समय से चल रही है। कोई एक महीने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। करीब एक घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद कहा गया था कि प्रदेश सरकार में और प्रदेश भाजपा कमेटी में फेरबदल की चर्चा हुई है और प्रधानमंत्री की हरी झंडी मिल गई है। लेकिन उस मुलाकात के एक महीने गुजर जाने के बाद भी सब कुछ जस का तस है। न सरकार में फेरबदल हुई और न संगठन में। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री दिल्ली में थे तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। लेकिन प्रदेश संगठन और सरकार में बदलाव को लेकर कोई स्पष्टता नहीं आई। सूत्रों के मुताबिक आलाकमान और योगी की पसंद मैच नहीं कर रही है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों को लेकर असमंजस और अंदरूनी खींचतान
उधर पश्चिम बंगाल में प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी को उनका विकल्प नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि बंगाल में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के नेता सुवेंदु अधिकारी को नेता प्रतिपक्ष बनवाया हुआ है। उनको लेकर प्रदेश भाजपा के पुराने नेताओं और संघ के लोगों में नाराजगी है। अगले साल चुनाव होने वाले हैं इसलिए भी पार्टी और संघ फूंक फूंक कर कदम उठा रहे हैं। महाराष्ट्र में प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले राज्य सरकार में मंत्री हैं। उनकी जगह नया अध्यक्ष चुनने की कवायद कई महीनों से चल रही है लेकिन कामयाबी नहीं मिली है। वहां भी पार्टी संगठन की अंदरूनी खींचतान और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की पसंद को लेकर सहमति नहीं है। सबसे दिलचस्प मामला गुजरात का है, जहां से प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल पिछले साल जून में केंद्रीय मंत्री बने थे। एक साल से वे दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वहां पार्टी क्यों अध्यक्ष नहीं बना पा रही है? कहा जा रहा है कि पिछले कुछ बरसों में पार्टी संगठन और सरकार दोनों की स्थिति वहां बहुत खराब हुई है। खुद प्रधानमंत्री मोदी उसे ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए सीआर पाटिल को अभी पद पर रखा गया है। झारखंड में प्रदेश अध्क्ष बाबूलाल मरांडी अब नेता विपक्ष बन गए हैं। लेकिन मरांडी बनाम अर्जुन मुंडा बनाम रघुवर दास की खींचतान में नए अध्यक्ष का मामला अटका है। केरल और तमिलनाडु में भाजपा ने नए अध्यक्ष बना दिए हैं और कर्नाटक में बीवाई विजयेंद्र बने रह सकते हैं। लेकिन तेलंगाना में प्रदेश अध्यक्ष जी किशन रेड्डी दोहरी जिम्मेदारीर निभा रहे हैं।
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