यह यक्ष प्रश्न बनता जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन भी पाएगी या नहीं? यह सवाल कई महीनों या बरसों से पूछा जा रहा है लेकिन अभी इस सवाल की प्रासंगिकता यह है कि पार्टी में संगठन चुनाव कराने के लिए बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष के लक्ष्मण के हवाले से खबर आ रही है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 15 अगस्त के बाद होगा। लक्ष्मण ने कई बातों की जानकारी दी है, जिसमें उन्होंने बताया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए देश भर में 10 लाख बूथ प्रभारी नियुक्त किए जाएंगे, जिनमें से साढ़े सात लाख की नियुक्ति हो गई है। सोचें, पहले कहा जा रहा था कि आधे राज्यों में संगठन का चुनाव हो जाएगा तो राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुन लिया जाएगा। लेकिन जब आधे से ज्यादा राज्यों में संगठन चुनाव हो गया तो अब कहा जा रहा है कि ढाई लाख बूथ प्रभारी और नियुक्त होने हैं उसके बाद चुनाव होगा।
बताया जा रहा है कि अभी 10 और राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुनने की तैयारी चल रही है। इसमें उत्तर प्रदेश और गुजरात भी शामिल है। ये दोनों राज्य भाजपा का गढ़ है। गुजरात में लगातार छह बार से भाजपा विधानसभा चुनाव जीत रही है और उत्तर प्रदेश में भी लगातार दो बार भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है। गुजरात नरेंद्र मोदी और अमित शाह का गृह प्रदेश है तो उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से मोदी सांसद हैं और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। फिर भी दोनों राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो पा रहा है!
बहरहाल, पिछले कुछ दिन से कहा जा रहा था कि आधे राज्यों में चुनाव हो गया है तो जुलाई में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। लेकिन अब उसकी संभावना खत्म हो गई बताई जा रही है। 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होगा, जो 21 अगस्त तक चलेगा। उसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा और केंद्रीय मंत्रिमंडल में अगर फेरबदल होनी है तो वह भी होगी। अब सवाल है कि भाजपा क्यों नहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करा पा रही है? क्या जेपी नड्डा के साथ मोदी और शाह इतने सहज हो गए हैं कि उनको बदलने का मन नहीं हो रहा है या कोई नड्डा जैसा नहीं मिल रहा है या सचमुच संघ के साथ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सहमति नहीं बन पा रही है? ध्यान रहे नड्डा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए साढ़े पांच साल हो गए हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह केंद्रीय गृह मंत्री बने थे और उनकी जगह अमित शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। 2019 का लोकसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया और उसके बाद वे केंद्रीय गृह मंत्री बने। लेकिन अगले सात महीने तक वे अध्यक्ष भी बने रहे क्योंकि 2019 के अंत में कई राज्यों के चुनाव थे। 2020 की जनवरी में जेपी नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, जिनका कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया। उसी समय उनको दूसरा कार्यकाल देने की बजाय उनके कार्यकाल का विस्तार किया जाता रहा और वे ढाई साल से तदर्थ व्यवस्था में अध्यक्ष बने हुए हैं।