महाराष्ट्र की महिला सांसदों ने संसद में भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे को घेर लिया। कांग्रेस पार्टी की सांसद वर्षा गायकवाड उनका नेतृत्व कर रही थीं। उन्होंने निशिकांत दुबे को घेर कर पूछना शुरू किया कि उन्होंने कैसे मराठी भाषा के लिए लड़ने वालों को पटक पटक कर मारने की बात की। महाराष्ट्र की महिला सांसदों ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे पर दिए निशिकांत के बयान के लिए उनको घेरा। भाजपा सांसद ने जैसे तैसे अपनी जान बचाई। उन्होंने मर्यादा दिखाई और महिलाओं से उलझने की बजाय सिर्फ इतना कहा कि उनके कहने का मतलब कुछ और था। वे चाहते तो वहां लड़ भी सकते थे।
लेकिन महाराष्ट्र की महिला सांसदों ने जो किया उससे उन्होंने बहुत गलत मिसाल बनाई। इस तरह अगर नेताओं के बयानों के लिए उनको घेरा जाने लगा तो बहुत लोगों के मुश्किल होगी। सोचें, अगर इसी तरह उत्तर प्रदेश और बिहार के सांसद शिव सेना के सांसदों को घेर लें और कहने लगें कि उनकी पार्टी के लोगों ने क्यों हिंदी बोलने वालों के साथ मारपीट की तो क्या होगा? निशिकांत दुबे के बयान के जवाब में राज ठाकरे ने उनको समुद्र में डुबो डुबो कर मारने की बात कही और वही राज ठाकरे अब उद्धव ठाकरे की शिव सेना के सहयोगी हो गए हैं। फिर तो निशिकांत दुबे की पार्टी के लोग शिव सेना के सांसदों को घेर कर पूछ सकते हैं कि राज ठाकरे ने कैसे समुद्र में डुबो कर मारने की बात कही! नेता अपनी पार्टी लाइन के हिसाब से अपने व अपनी पार्टी के राजनीतिक लाभ के लिए बयान देते हैं। इसके लिए उनको दूसरी पार्टी के सांसद घेर कर अपमानित करने का प्रयास नहीं करते हैं। अगर यह होने लगा तो संसद में और संसद के बाहर अराजकता की स्थिति बन जाएगी।