न खेल भावना, न राष्ट्रवाद!
भारत में क्रिकेट धर्म है और वह जैसे ही भारत बनाम पाकिस्तान होता है तो कट्टर, तेज़, उन्मादी, उग्र हो जाता है। मैं क्रिकेट की शौकीन नहीं हूँ। न स्कोर देखती हूँ, न खिलाड़ियों का विश्लेषण करती हूँ। लेकिन इस देश में प्रशंसक होना ज़रूरी नहीं है। इसलिए भारत–पाकिस्तान मैच हुआ तो दीवानगी वायरस जैसे फैलती है। मैं भी अनजाने टीवी की ओर झाँकने लगती हूँ। तब क्रिकेट खेल नहीं रह जाता, यह राष्ट्रीयता का मामला हो जाता है, जहाँ गर्व सहज प्रवृत्ति की तरह उभरता है। कुछ लोग कहते हैं कि क्रिकेट शत्रुता को पिघला देता है, 1947 से...