Tuesday

08-07-2025 Vol 19

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

चीन- रूस की धुरी

ये धुरी पश्चिमी नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था के खिलाफ उभर रही है, जिसका पिछले साढ़े दशक में दुनिया पर एकछत्र प्रभाव रहा है।

निर्वाचन आयोग पर सवाल

ऐसे में यह जिम्मेदारी आयोग पर है कि वह विपक्षी आरोपों या धारणाओं को बेबुनियाद साबित करे।

विषमता की ऐसी खाई

भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया था कि 2022-23 में घरेलू बचत 5.1 प्रतिशत तक गिर गई है, 47 साल का सबसे निचला स्तर है।

इजराइल ने क्या पाया?

अमेरिका ने विस्फोटक स्थिति की गंभीरता को समझा। उसने इजराइल को दो-टूक संदेश दिया कि वह युद्धविराम की वार्ता में शामिल हो।

इस उदारता का राज़?

भारत, पाकिस्तान और मिस्र जैसे अनेक व्याज उत्पादक देशों के प्याज निर्यात पर रोक लगा देने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज लगातार महंगा बना हुआ है।

कांग्रेस का ‘न्याय’ पत्र

कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र को- जिसे उसने न्याय पत्र नाम दिया है- देश के लिबरल खेमे से खूब तारीफ मिली है।

अति-उत्साह में फजीहत

भारत के आठ प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर हासिल करने संबंधी कोई अनुमान नहीं लगाया गया है।

इंसान की बढ़ी उम्र

लांसेट ने ध्यान दिलाया है कि कोरोना महामारी के दौरान बड़ी संख्या में मौतें नहीं होतीं, तो जीवन प्रत्याशा बढ़ाने की दिशा में दुनिया में प्रगति और प्रभावशाली दिखती।

वीवीपैट की गिनती जरूरी

आवश्यक माना जाता है कि मतदाता सूची तैयार करने से लेकर चुनाव परिणाम की घोषणा तक का हर कदम विश्वसनीय ढंग से उठाया जाए।

न्यायिक रुतबा बना रहे

संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून की व्याख्या और उस पर अमल को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी न्यायपालिका पर ही होती है।

एक गौरतलब चेतावनी

अब विश्व बैंक ने भारत को आगाह किया है। विषय वही है यानी रोजगार के अवसरों का अभाव- एक ऐसी सूरत जिसमें तेज आर्थिक वृद्धि दर के साथ-साथ उतनी...

संबंध में पड़े पेच

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर दिए अमेरिकी बयान पर भारत सरकार ने कड़ा विरोध जताया, लेकिन उससे अप्रभावित रहते हुए अमेरिका ने फिर से अपनी बात दोहरा दी।

चमक के नीचे अंधेरा?

बाजार के आंकड़ों से जाहिर है कि इस तबके की बदौलत भारत में लग्जरी कारों, घड़ियों, जेवरात, मकान और विलासिता की अन्य वस्तुओं की बिक्री में बड़ा इजाफा हुआ...

ये खेल हानिकारक है

जहां तक इलाकों की अदला-बदली का सवाल है, तो यह कोई नई बात नहीं है। व्यापक राष्ट्र हित में कई बार सरकारें इस तरह के निर्णय लेती हैं।

मकसद की एकता बनी

आम चुनाव से ठीक पहले केंद्र ने विपक्ष को अपंग बना देने के लिए जिस आक्रामक अंदाज में सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया है, उसने विपक्ष को एकजुट होने...

दुनिया सब देखती है

कांग्रेस के बैंक खाते फ्रीज किए जाने से बने हालात पर संयुक्त राष्ट्र ने भी जो कहा है, उसे इस विश्व संस्था की तरफ से जताई गई चिंता के...

फिर किसके वश में?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस कथन ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं कि उनके पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं हैं। Loksabha elections Nirmala Sitharaman

घर का सोना नीलाम

शिकायत है कि बड़ी संख्या में ऋण वितरण करने की होड़ में इन कंपनियों ने सोने की शुद्धता और वजन की बिना ठीक से जांच किए कर्ज वितरित किए...

साफगोई के लिए शुक्रिया!

नागेश्वरन की टिप्पणी का मतलब बहुत साफ है। बेरोजगारी की समस्या इतना विकराल रूप ले चुकी है कि सरकार ने अब उसके सामने हथियार डाल दिए हैँ।

मुंहदेखे रुख से मुश्किल

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अमेरिका ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की खबरों पर नजर रखी हुई है।

रोजगार की गंभीर सूरत

बीते दो दशकों में कुछ विरोधाभासी संकेत देखे गए हैँ। कुछ अवधियां ऐसी रहीं, जब गैर-कृषि रोजगार पहले की तुलना मे अधिक तीव्र गति से बढ़ा।

आक्रामक तेवर में रूस

रूस ने कहा है कि उनसे पूछताछ और अपनी अन्य जांच के आधार पर यह तय करेगा कि हमलावरों को निर्देश कहां से मिला।

एकाधिकार पर प्रहार

एपल जैसे नेशनल चैंपियन तक भी अब कानून के हाथ पहुंच गए हैं। ढाई दशक पहले माइक्रोसॉफ्ट को ऐसी ही कार्रवाई के जरिए दो भागों में बांट दिया गया...

लद्दाख की आवाज सुनें

वांगचुक ने देश को आगाह किया है कि तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं।

स्टार्ट-अप्स के सूखे स्रोत

कोरोना महामारी और उसके ठीक बाद के दौर में जब असल अर्थव्यवस्था डगमग थी, तब नकदी से भरपूर निवेशकों ने स्टार्ट-अप्स पर बड़ा दांव लगाया।

गायब हो गई चमक

बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद बड़े धूम-धाम से समिट ऑफ डेमोक्रेसीज- यानी लोकतांत्रिक देशों के सम्मेलन का आयोजन किया था

भारतः अरबपति राज का उदय

दुनिया के जिन देशों में सबसे ज्यादा आर्थिक गैर-बराबरी बढ़ी है, उनमें भारत प्रमुख है।

चुनाव में चर्चा नहीं

पिछले साल प्रदूषण किस तेजी से बढ़ा भी यह ध्यान देने योग्य है। 2022 में भारत आठवां सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला देश था।

समस्या बहुत गंभीर है

अब एक जर्मन संस्था ने कहा है कि दुनिया में लोकतांत्रिक सरकारों की संख्या घट रही है।

पारदर्शिता से क्यों परहेज?

भारत में राजनीतिक चंदे की लगातार गड्डमड्ड होती गई परिघटना के साथ-साथ राजनीति पर कॉरपोरेट घरानों के कसते गए शिकंजे का भी परदाफाश हो रहा है। electoral bonds supreme...

विदेशी निवेश क्यों गिरता हुआ?

एकाधिकार कायम कर चुके घराने नहीं चाहते कि विदेशी पूंजी आकर ऐसे उद्यम खड़े, जिससे उनके लिए प्रतिस्पर्धा खड़ी हो। Foreign Direct Investment

विपक्षी दांव की दिक्कतें

अब ऐन वक्त पर उन्हें मोदी हटाओ के नकारात्मक एजेंडे पर चुनाव मैदान में उतरना पड़ रहा है।

कड़वे सच का सामना

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आंकड़ों के साथ खिलवाड़ या हेरफेर जरिए ऐसी धारणाएं बनाई गई हैं, जिनका कोई वास्तविक आधार नहीं है।

मैराथन चुनाव कार्यक्रम

आर्थिक संसाधन, लंबे समय तक सक्रिय रह सकने वाली चुनाव मशीनरी और अपने चुनावी नैरेटिव को आकर्षक बनाए रखने की क्षमता इनमें शामिल हैं। Lok sabha election 2024 schedule

कठघरे में है सरकार

सबसे परेशानी वाली बात यह सामने आई है कि कथित खोखा (शेल) कंपनियां सियासी चंदा दे रही हैं और पार्टियां उन्हें स्वीकार भी कर रही हैं। electrol bonds supreme...

मुश्किल में एमएमसीजी क्षेत्र

उचित प्रयास सरकार की तरफ से नहीं किए गए हैँ। नतीजतन, गांवों में मंदी है और उसका साया एफएमसीजी कारोबार पर भी पड़ रहा है। Economy crisis

किसानों की बात सुनें

यह स्वागतयोग्य है कि दिल्ली पुलिस ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को रामलीला मैदान में महापंचायत लगाने की इजाजत दी। इसे प्रशासन के रुख में एक बड़े बदलाव के...

आत्म निर्भरता के बावजूद!

भारत में जारी जोरदार चर्चा एक यह है कि भारत ना सिर्फ हथियारों के मामले में आत्म-निर्भरता की दिशा में बढ़ा है, बल्कि अब वह महत्त्वपूर्ण अस्त्रों का निर्यात...

भरोसे का नया संकट

आम चुनाव से ठीक पहले एक आयुक्त के इस्तीफे को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है।

चुनाव से ठीक पहले

मजहब नागरिकता तय करने की एक कसौटी बन जाएगा। समझा जा सकता है कि यही व्यवस्था करना इस कानून का मुख्य मकसद है।

कितना कुछ जाहिर होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने आम चुनाव तक इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स संबंधित विवरण पर परदा डालने की भारतीय स्टेट बैंक की कोशिश नाकाम कर दी।

संदेह की वजहें हैं

जिन हालात में निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दिया, उससे शक पैदा होने की ठोस वजहें हैं।

पुर्तगाल में भी धुर-दक्षिण

घटनाक्रम का कुल सार यह है कि समृद्धि और आम संपन्नता का दौर गुजरते ही यूरोप के बहुचर्चित कल्याणकारी ढांचे की चूलें हिलने लगी हैं। socialists party

भारत अब डेमोक्रेसी नहीं?

संस्था ने कहा है- 2013 के बाद भारत में तानाशाही प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है।

कहने की जरूरत पड़ी!

जाहिर है, अभियुक्त मुस्लिम थे, जिन पर सांप्रदायिक द्वेष फैलाने का इल्जाम लगा दिया गया था।

पर्यावरण के हक में

कोर्ट ने यह कड़ी टिप्पणी की कि ऐसी मिलीभगत के जरिए अल्पकालिक आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण को क्षति पहुंचाई जा रही है।

मूलभूत सिद्धांत की पुष्टि

साईबाबा और पांच अन्य लोगों पर ऐसी ही गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ यूएपीए लगा दिया गया था

गोल्ड क्यों चमक उठा?

सोने के भाव में इस बढ़ोतरी के साथ-साथ क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत ने भी रिकॉर्ड बनाया है।