Tuesday

01-07-2025 Vol 19

पंकज शर्मा

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स में संवाददाता, विशेष संवाददाता का सन् 1980 से 2006 का लंबा अनुभव। पांच वर्ष सीबीएफसी-सदस्य। प्रिंट और ब्रॉडकास्ट में विविध अनुभव और फिलहाल संपादक, न्यूज व्यूज इंडिया और स्वतंत्र पत्रकारिता। नया इंडिया के नियमित लेखक।

घनचक्करी झूले पर झूलता कांग्रेस अधिवेशन

मुझे लगता है कि आज़ादी के बाद हो रहा 31वां कांग्रेस-अधिवेशन अब तक का सबसे नीरस और निरर्थक आयोजन साबित होने वाला है।

खुल्लमखुल्ला बेपर्दा हुए पर्दानशीं

बुधवार को लोकसभा में और बृहस्पतिवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री के भाषणों का पोलापन आराधकों के लिए हो-न-हो, मेरे लिए तो सचमुच बेहद फ़िक्र की बात है।

’चश्मदीद का बहीखाता’ पन्ने-दर-पन्ने

जितनी वज़नदार आपकी दुआएं होंगी, ‘चश्मदीद का बहीखाता’ उतनी जल्दी आपके हाथों में होगा।

भोंपू-पत्रकारिता का अमृत-दशक

भोंपू-पत्रकारिता के इस एक दशक ने हमें जो पाठ पढ़ाए हैं, उन की विलोम-यात्रा, अगर आरंभ भी हो गई तो, क्या अगले दो दशकों में भी अपनी मंज़िल हासिल...

खम्मम के शिगूफ़े का पेच-ओ-ख़म

सकल-विपक्ष की घालमपेल ही नरेंद्र भाई की आस का तिनका है। विपक्ष जितना बिखरेगा, उतना ही वे निखरेंगे।

सियासत के सूखे पठार से रूमानियत की उम्मीद

मैं नहीं मानता कि उनकी पदयात्रा ने सब-कुछ बदल कर रख दिया है, लेकिन उन्होंने दो व्यक्तित्वों के फ़र्क़ के हर्फ़ आम दिमाग़ों में चस्पा कर दिए हैं।

ठूंठ-राज के अनंत प्रतीक्षालय में

सियासत बहुत हो ली। नए साल में ज़रा ज़िंदगी से जुड़े बाकी आयामों पर भी नज़र डालें। एक राजनीति को ही राजनीतिकों ने रसातलगामी नहीं बना दिया है।

आप का समय शुरू होता है, अब!

2023 के गर्भ से 2024 का जन्म होगा। 2023 के प्रसव-काल में जैसी देखभाल हम कर पाएंगे, जैसा खानपान हम दे पाएंगे, वैसी ही संतान 2024 की गोद में...