• शेयर बाजार को आश्वासन

    चुनाव नतीजों को लेकर बढ़े अनिश्चिय के साथ विदेशी निवेशकों में यह अंदेशा बढ़ा है कि अगर केंद्र में मिली-जुली सरकार बनी, तो वह ‘मार्केट के अनुकूल’ नीतियों पर उस आक्रामक अंदाज में नहीं चल पाएगी, जैसा नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। शेयर बाजार में हलचल है। सिर्फ इसी महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार से 28,200 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। अप्रैल में उन्होंने 8,700 करोड़ रुपये यहां से निकाले थे। जब यह माना जा रहा था कि इस आम चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत पक्की है, तब रुझान विदेशी निवेशकों के भारत में ज्यादा से ज्यादा...

  • आपकी सेहत राम भरोसे!

    आम इंसान हर तरह की स्वास्थ्य सुरक्षा से बाहर होता जा रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट होने के साथ गरीब और निम्न मध्यवर्गीय लोग इलाज के लिए राम भरोसे रह गए। अब धीरे-धीरे ऐसा ही सामान्य मध्य वर्गीय लोगों के साथ होने लगा है। पिछले एक साल में स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। अब खबर है कि जल्द ही इसमें 10 से 15 फीसदी तक की और वृद्धि हो सकती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसका कारण भारतीय बीमा विनियमन एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) का बीमा नियमों में परिवर्तन का फैसला है।...

  • बेरोजगारों का यही अंजाम!

    जब बेरोजगारी की समस्या गंभीर हो रही हो, तो घोटालेबाजों के लिए अनुकूल स्थितियां सहज ही बन जाती हैं। वे विदेशों में आकर्षक करियर का वादा कर नौजवानों को फंसाते हैं। कंबोडिया गए नौजवानों के साथ भी यही हुआ। बीते सप्ताहांत भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने कंबोडिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में नौकरी की तलाश में जा रहे भारतवासियों के लिए एडवाइजरी जारी की। इसके पहले खबर आई थी कि कंबोडिया से उन 250 भारतीयों को वापस लाया गया है, जो नौकरी के लालच में वहां जाकर घोर दुर्दशा में फंस गए थे। इसके साथ ही रोजगार के लिए...

  • आयोग का अजीब रुख

    जो आंकड़े 2019 के आम चुनाव तक स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत मतदान के हर चरण के बाद सार्वजनिक किए जाते थे, इस बार उसको लेकर निर्वाचन आयोग ने जैसी हिचक या कहें प्रतिरोध का रुख दिखाया है, वह अजीबोगरीब है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह बताने के लिए एक हफ्ते- यानी 24 मई तक- का वक्त दे दिया है कि निर्वाचन आयोग को मतदान संबंधी संपूर्ण विवरण प्रकाशित करने में दिक्कत क्या है? जो आंकड़े 2019 के आम चुनाव तक स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत मतदान के हर चरण के बाद सार्वजनिक किए जाते थे, इस बार उसको लेकर निर्वाचन आयोग ने...

  • सुप्रीम कोर्ट का संरक्षण

    अब से यूएपीए के तहत किसी को गिरफ्तार करते वक्त पुलिस को उसकी गिरफ्तारी का आधार बताना होगा और संबंधित व्यक्ति को कानूनी सलाह लेने का अवसर उपलब्ध करवाना होगा। सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तारियों के मामले में एक महत्त्वपूर्ण संरक्षण का प्रावधान किया है। कहा जा सकता है कि पिछले अक्टूबर में कोर्ट ने मनीलॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के सिलसिले में जो संरक्षण दिया था, उसका अब यूएपीए के मामलों में भी विस्तार कर दिया गया है। संरक्षण यह है कि इस कानून के तहत...

  • व्यापार संतुलन पर दबाव

    अप्रैल में हुए कुल व्यापार घाटे में सबसे बड़ा योगदान सोना और कच्चे तेल का रहा। सोने का आयात लगभग तिगुना होकर 3.11 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। 20.2 फीसदी बढ़ोतरी के साथ कच्चे तेल का कुल आयात 16.64 बिलियन डॉलर का रहा। इस वित्त वर्ष के पहले महीने- यानी अप्रैल में भारत के व्यापार घाटे में 19.1 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई। इसका प्रमुख कारण आयात में भारी वृद्धि है। अप्रैल में कुल निर्यात 34.62 बिलियन डॉलर का रहा, जबकि आयात 54.09 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। आयात बढ़ने का एक प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना और कच्चे...

  • कायदों की जानलेवा बेकद्री

    मुख्यमंत्री ने एलान किया है कि मुंबई में लगे सभी होर्डिंग्स का ऑडिट किया जाएगा। अवैध एवं खतरनाक होर्डिंग्स को तुरंत हटा दिया जाएगा। मगर इससे इसका जवाब नहीं मिलता कि ऐसे ऑडिट के लिए इतने बड़े हादसे का इंतजार क्यों किया गया? मुंबई के घाटकोपर में बिल बोर्ड गिरने की हुई घटना के बाद जो जानकारियां सामने आ रही हैं, उससे स्थानीय प्रशासन में गहराई तक बैठी लापरवाही और संभवतः गंभीर भ्रष्टाचार के भी संकेत मिल रहे हैं। इस हादसे की प्राथमिक जिम्मेदारी रेलवे पुलिस पर जाती है, क्योंकि बिलबोर्ड उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाली जमीन पर लगा...

  • जीडीपी आंकड़ों पर अविश्वास

    अब उस उद्योग के एक उच्च अधिकारी ने जीडीपी आंकड़ों पर संदेह जताया है, जिसके प्रदर्शन और जीडीपी की वृद्धि में संबंध माना जाता रहा है। सरकार को ऐसे सवालों के ठोस जवाब देने चाहिए, ताकि भारत के आंकड़ों पर अविश्वास और ना गहरा जाए। एशियन पेंट्स कंपनी के महाप्रबंधक और सीईओ अमित सिनगल ने जो कहा, उसका अर्थ भारत की जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों पर अविश्वास जताना ही माना जाएगा। सिनगल ने जहां ये बात कही और जिस सवाल के जवाब में कही, दोनों पर गौर करना अहम है। मौका था भारतीय विनिमय एवं प्रतिभूति बोर्ड (सेबी) का...

  • बढ़ रही है बदहाली

    अधिकांश लोगों के लिए उपभोग और आय के अनुपात में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है। कोरोना काल की तुलना में सिर्फ सबसे ऊपरी दस फीसदी आबादी के मामले में यह अनुपात उल्लेखनीय रूप से बेहतर हुआ है। सरकार के ताजा आर्थिक आंकड़ों से सामने आई मुख्य सूचना यह है कि खाद्य पदार्थों के दाम अप्रैल में तेजी से बढ़े। लेकिन सरकारी बयान में ये बात कहीं नीचे बताई गई, यह बताने के बाद कि बीते महीने खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज हुई। मार्च में खुदरा महंगाई दर 4.85 फीसदी थी, जो अप्रैल में 4.83 प्रतिशत पर आ गई।...

  • वित्तीय बाजार में व्यग्रता

    अब तक हुए मतदान के रुझान से चुनाव के बाद केंद्र में नई राजनीतिक परिस्थितियां बनने की चर्चा गर्म हो गई है। शेयर कारोबारियों में व्यग्रता का कारण संभवतः यही आशंका है। बाजार में अस्थिरता इंडेक्स सोमवार को ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। आम चुनाव के मतदान के हर चरण के बाद देश के शेयर बाजारों में अनिश्चय बढ़ा है। बाजार की पसंद नरेंद्र मोदी हैं। लेकिन हर चरण में मतदान प्रतिशत घटने और मिल रहे आम संकेतों से बाजार के इस भरोसे में सेंध लग गई है कि मोदी सरकार पूरी मजबूती के साथ वापस आएगी। सोमवार को अस्थिरता...

  • केजरीवाल की गारंटियां

    कहा जा सकता है कि ‘आप’ अर्थव्यवस्था में राज्य की ऐसी भूमिका बनाने की गारंटी दे रही है, जो मार्केट फंडामेंटलिज्म के विपरीत है। वर्तमान बहस के सीमित दायरे में इसे ‘आप’ का खास योगदान समझा जाएगा। गारंटियों के सीज़न में आम आदमी पार्टी (‘आप’) के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने अपनी दस गारंटियां पेश की हैं। उन्हें इस बात श्रेय दिया जाएगा कि उन्होंने ये गारंटियां पार्टी की सीमाओं को स्पष्ट करते हुए दीं। केंद्र में उनकी पार्टी की अपनी सरकार नहीं बनने वाली है, इसका उल्लेख उन्होंने किया। मगर दावा किया कि ये ऐसी गारंटियां हैं, जिन पर इंडिया...

  • चीन का समाधान नहीं!

    चीन से कारोबार में दिक्कत यह है कि इसमें बढ़ोतरी के साथ ही भारत का व्यापार घाटा और बढ़ जाता है। 2023-24 में भारत ने 101.7 बिलियन डॉलर का चीन से आयात किया। निर्यात सिर्फ लगभग 17 बिलियन डॉलर का ही रहा। वित्त वर्ष 2023-24 में फिर चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बन गया। इसके पहले के दो वित्त वर्षों में यह दर्जा अमेरिका को हासिल हुआ था। बीते साल भारत और चीन के बीच 118.4 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ, जबकि अमेरिका के साथ आयात-निर्यात 118.3 बिलियन डॉलर तक ही पहुंच पाया। चीन के साथ कारोबार के...

  • अंपायर या एक खिलाड़ी?

    निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसका काम लोकतंत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण आयोजन- यानी चुनाव- को संपन्न कराना है। यह अपेक्षा वाजिब और सटीक है कि आयोग इस प्रक्रिया में निष्पक्ष रेफरी की भूमिका निभाए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्र इंडिया गठबंधन में शामिल दलों को लिखा। निर्वाचन आयोग के व्यवहार की तरफ अन्य दलों का ध्यान उन्होंने खींचा। ताजा शिकायत इसको लेकर जताई कि निर्वाचन आयोग इस बार मतदान के बारे में पूरा विवरण जारी नहीं कर रहा है। प्रथम दो चरणों की वोटिंग से संबंधित मतदान प्रतिशत के बारे में अंतिम आंकड़े जारी करने उसने असामान्य देर...

  • दुनिया में अलग-थलग

    अमेरिका और इजराइल को असली झटका इस बात से लगा कि ब्रिटेन, फ्रांस, और जर्मनी के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन से जुड़े अनेक देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। भारत ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया। इजराइल को हर हाल में संरक्षण देने की नीति के कारण अमेरिका किस तरह अलग-थलग पड़ता जा रहा है, ये बात फिलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता देने के प्रश्न पर महासभा में हुए मतदान से और स्पष्ट हुई है। अमेरिका के विरोध के बावजूद यह प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित हुआ। 143 देशों ने इसका समर्थन किया, जबकि विरोध में सिर्फ...

  • चुनाव में विदेश नीति कितना बड़ा मुद्दा?

    भाजपा ने भरोसा दिया है कि वह एक जिम्मेदार एवं भरोसेमंद पड़ोसी की भूमिका में 'नेबरहुड फर्स्ट' की नीति पर कायम रहेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस ने भूटान से लेकर बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ संबंधों में नई ताजगी लाने का वादा किया है। भारत के आम चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के प्रयास में जुटी है, तो मुख्य विपक्षी दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने दस साल के राजनीतिक वनवास को खत्म करने के लिए कमर कसे हुए है। दोनों प्रमुख दल जनता को लुभाने के लिए अपने-अपने दांव आजमा रहे हैं। इसी कड़ी...

  • टूटी उम्मीदों की मिसाल

    जब किसी शॉपिंग मॉल में 40 फीसदी से ज्यादा दुकानें खाली हो जाती हैं, तो उसे ‘घोस्ट मॉल' करार कर दिया जाता है। रिपोर्ट बताती है कि 2022 में ऐसे भुतहा मॉल 57 से बढ़कर 64 हो गए। 132 मॉल इस रास्ते पर हैं। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में शॉपिंग मॉल बुरे दौर से गुजर रहे हैं। पिछले दो साल में बहुत से छोटे शॉपिंग माल बंद हो गए। बेशक इसकी एक प्रमुख वजह ऑनलाइन खरीदारी का बढ़ा चलन है। लेकिन उससे अधिक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि जिस तेजी से उपभोक्ता वर्ग में वृद्धि का अनुमान...

  • बेहतर संबंध की ओर?

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद हल करने की दिशा में अच्छी प्रगति हो रही है। फिर यह खबर आई कि चीन ने भारत के लिए नए पूर्णकालिक राजदूत की नियुक्ति कर दी है। भारत-अमेरिका और भारत-चीन के रिश्तों में घटनाएं महत्त्वपूर्ण मोड़ लेती दिख रही हैं। बेशक, दोनों मोर्चों पर हो रही घटनाओं का आपस में जुड़ाव है। फिलहाल, संकेत है कि अमेरिका से भारत का रिश्ता गतिरुद्ध हो गया है, वहीं चीन के साथ तनाव घट रहा है। पहले चीन को लें। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी...

  • मतदान प्रतिशत का संकेत

    मतदान संबंधी सूचना देने को लेकर उठे विवादों ने समाज के एक बड़े हिस्से में संशय पैदा कर रखा है। इसी कारण अब तक जो आंकड़े बताए गए हैं, उनके आधार पर कोई संकेत ग्रहण करना बहुत से लोगों को सार्थक नहीं मालूम पड़ा है। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 64.5 प्रतिशत मतदान हुआ। 2019 की तुलना में यह तकरीबन डेढ़ प्रतिशत कम है। चूंकि ये आंकड़े अस्थायी हैं, इसलिए संभव है कि अंतिम आंकड़ों में इस चरण में मतदान का प्रतिशत पिछली बार की तुलना में ज्यादा हो जाए। पहले दो चरण का...

  • जांच तो होनी चाहिए!

    क्या पैसे के वास्तव में लेन-देन का कोई प्रथम दृष्टया साक्ष्य उप-राज्यपाल को सौंपा गया है? अगर केजरीवाल पर आतंकवादी गुट से पैसा लेने के प्रथम दृष्टया सबूत हों, तो बेशक गहन जांच होनी चाहिए। मगर उप-राज्यपाल के निर्णय का समय महत्त्वपूर्ण है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ किसी खालिस्तानी आतंकवादी गुट से पैसा लेने का ठोस आरोप है, तो बेशक उसकी जांच होनी चाहिए। मगर प्रश्न यही है कि क्या आरोप ठोस है? इसलिए जरूरी है कि दिल्ली के उप-राज्यपाल ने उनके खिलाफ जिस इल्जाम पर एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) जांच की सिफारिश की है, उस पर...

  • कहानी का कुल सार

    भारत में घरेलू बचत में 2023 तेज गिरावट आई। सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में यह महज 5.3 प्रतिशत रह गई है। यह पांच दशकों का निम्नतम स्तर है। घरेलू बचत घटने के साथ परिवारों पर कर्ज का बोझ लगभग उसी अनुपात में बढ़ा है। भारत का बहुचर्चित आर्थिक विकास देशवासियों को किस दिशा में ले जा रहा है, उस पर रोशनी ताजा आंकड़ों ने डाली है। इनके मुताबिक भारत में घरेलू बचत में 2023 तेज गिरावट आई। सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में यह महज 5.3 प्रतिशत रह गई है। यह पांच दशकों का सबसे निचला स्तर है। घरेलू...

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