उचित ही ध्यान दिलाया गया है कि चैटजीपीटी सेवा लॉन्च होने के ठीक ढाई साल बाद टीसीएस ने अपने वर्क फोर्स को पुनर्संगठित करने का एलान किया है। चैटजीपीटी के बाद अनेक कंपनियों ने वैसे सोल्यूशन बाजार में पेश किए हैं।
भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक- टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) की 12,200 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा से पूरे सेवा क्षेत्र में खौफ़ पैदा होना लाजिमी है। कंपनी जिन कर्मचारियों को हटा रही है, वे सभी मध्यम से उच्च दर्जों पर कार्यरत हैं। यानी वे ह्वाइट कॉलर कर्मचारी हैं। खुद कंपनी के बयान से साफ है कि वह अपने कामकाज में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का अधिक उपयोग करने जा रही है। लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (एलएलएम) के प्रचलित होने के बाद एआई समाधान ऐसे अनेक कार्य करने में सक्षम हो गए हैं, जिन्हें करने के लिए अब तक इंसान की जरूरत होती रही है। जिस बिंदु पर अपने कर्मचारियों की तुलना में ऐसे समाधानों में निवेश कंपनियों को किफायती लगेगा, वे अपने काम को एआई के जरिए ऑटोमेटेड (स्वाचिलत) करेंगी, यह अनुमान पहले से रहा है।
मीडिया रिपोर्टों में उचित ही ध्यान दिलाया गया है कि अमेरिकी कंपनी ऑपेन एआई द्वारा चैटजीपीटी सेवा लॉन्च करने के ठीक ढाई साल बाद टीसीएस ने अपने वर्क फोर्स को पुनर्संगठित करने का एलान किया है। चैटजीपीटी अति सक्षम एलएलएम के साथ आया। उसके बाद अनेक कंपनियों ने ऐसे सोल्यूशन बाजार में पेश किए हैं। इस बीच चीनी कंपनियों ने ओपन सोर्स में ऐसे समाधान उपलब्ध करवा कर कम बजट वाली कंपनियों के लिए भी एआई के इस्तेमाल को आसान बना दिया है। यानी यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जो कंपनियां टीसीएस जितनी महंगी सेवा खरीदने में सक्षम नहीं हैं, वे भी आगे चल कर एआई के जरिए अपना मुनाफा बढ़ाने का प्रयास करेंगी।
इन सबकी तलवार ह्वाइट कॉलर जॉब्स पर पड़ेगी। मशीनीकरण और इंटरनेट के उपयोग के जरिए ऑटोमेशन के जो पहले और दूसरे दौर आए, उनका शिकार ज्यादातर ब्लू कॉलर जॉब बने। अब बात ऊपर पहुंच गई है। यह विभिन्न समाजों के सामने नई चुनौती है। बेशक, तकनीक के विकास को रोका नहीं जा सकता। लेकिन उनका उपयोग कैसे हो और उनका कैसे अधिकतम लोगों के हित में उपयोग हो, इस पर जरूर चर्चा की जानी चाहिए। मगर, मुनाफा प्रेरित अर्थव्यवस्था में ऐसी चर्चाओं के लिए शायद ही कोई गुंजाइश रहती है।