यह दुर्भाग्यपूर्ण हकीकत है कि आतंकवादी जब-तब हमारे सुरक्षा घेरे में छिद्र ढूंढने में कामयाब होते रहे हैँ। इस मोर्चे पर कहां चूक रह जाती है और इन छिद्रों को कैसे भरा जाए- भारत के सामने असल चुनौती यह है।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त संदेश देते हुए पांच महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनके तहत सिंधु जल संधि को लंबित अवस्था में डाल दिया गया है, अटारी चौकी को बंद कर दिया गया है, अब पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा रियायत योजना की सुविधा नहीं मिलेगी, नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, सेना, नौ सेना और वायु सेना सलाहकारों को भारत से जाने को कहा गया है और इस्लामाबाद स्थित अपने सलाहकारों को भारत वापस बुला रहा है; तथा दोनों स्थानों पर उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 घटा कर 30 करने का फैसला हुआ है।
बाकी निर्णयों के जरिए दिए गए सख्त पैगाम संभवतः जितना पाकिस्तान के लिए है, उतना ही भारत की नाराज जनता के लिए भी। बहरहाल, इन कदमों से आतंकवाद की कमर तोड़ने में क्या मदद मिलेगी, यह साफ नहीं है। भारत इस नतीजे पर है कि पहलगाम हमला लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दहशतगर्दों ने किया, जिन्हें पाकिस्तान का संरक्षण हासिल है।
इसलिए पाकिस्तान को सख्त संदेश देना तो जरूरी है, फिर भी अंतिम उद्देश्य आतंकवादी संगठनों और उनके समर्थक ढांचे को ध्वस्त करना होना चाहिए। उसके लिए सरकार की क्या योजना है, इसको लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। अतीत में सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट ऑपरेशन जैसे कदम भी सख्त संदेश देने के अलावा कुछ हासिल नहीं कर सके।
यह दुर्भाग्यपूर्ण हकीकत है कि आतंकवादी जब-तब हमारे सुरक्षा घेरे में छिद्र ढूंढने में कामयाब होते रहे हैँ। इस मोर्चे पर कहां चूक रह जाती है और इन छिद्रों को कैसे भरा जाए- भारत के सामने असल चुनौती यह है। चुनौती अपने लोगों को आतंक के साये से सुरक्षा देना है। आशा है, सरकार इसके लिए भी कारगर योजना बनाएगी।
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