धनी लोगों के पास तो फिर भी नुकसान झेलने की क्षमता होती है, मगर जिन लोगों ने अपनी बचत से या ऋण लेकर शेयरों में निवेश किया, हालिया गिरावट से उनके घरेलू बजट पर असर का अनुमान लगाया जा सकता है।
ये सूचना सुर्खियों में है कि सोमवार को शेयर मार्केट पर पड़ी मार से भारत के अरबपतियों को नौ अरब डॉलर का नुकसान हुआ। मगर ये सूचना कहीं दबी रह गई है कि भारत के छोटे और नए निवेशकों ने इसमें अपना कितना धन गंवाया। इस हकीकत को ओर बहुत कम ध्यान खींचा जाता है कि गुजरे पांच वर्षों में शेयर कारोबार के बदले स्वरूप के कारण अब स्टॉक एक्सचेंजों में जो होता है, उसमें सिर्फ धनी लोगों का दांव नहीं होता। बल्कि मध्य वर्ग के करोड़ों लोगों के हित से इससे जुड़ चुके हैँ। इस बदलाव की शुरुआत कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान हुआ। तब मध्य वर्ग के पास समय अधिक और खर्च करने की गुंजाइशें कम थीं।
इस बीच सरकार की नीतियों ने भी लोगों को शेयर मार्केट- यानी जल्दी और आसानी से पैसा बनाने की तरफ आकर्षित किया। कम ब्रोकरेज फीस और कर्ज की सुविधा देने वाली नई कंपनियों के कारण ऑनलाइन ट्रेडिंग काफी लोकप्रिय हुई। ऐसा ही एक विकल्प मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी (एमटीएफ) है, जिससे ट्रेडर लागत का सिर्फ कुछ हिस्सा देकर शेयर खरीद सकते हैं। बाकी पैसा ब्रोकरेज कंपनी ऋण के रूप में देती है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2020 और मार्च 2024 के बीच भारत में पंजीकृत निवेशकों की संख्या लगभग तीन गुना बढ़ कर सवा नौ करोड़ हो गई।
इस तरह, अगर उनके परिजनों की भी गिनती कर लें, तो 30-35 करोड़ लोगों के हित शेयर कारोबार से जुड़ गए हैं। 2020 से 2024 के अगस्त तक शेयर बाजार में चमक का समय रहा। मगर पिछले सितंबर से लेकर अब तक भारतीय शेयर बाजारों में 1.2 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की कमी आ चुकी है। इससे सिर्फ अरबपतियों को क्षति नहीं हुई है। धनी लोगों के पास तो फिर भी नुकसान झेलने की क्षमता होती है, मगर जिन लोगों ने अपनी बचत से या ऋण लेकर निवेश किया, उनके घरेलू बजट पर असर का अनुमान लगाया जा सकता है। और इसका जो असर उपभोग और मांग पर हो रहा है, उसका आकलन भी आसानी से किया जा सकता है।