भोपाल। प्रदेश और देश की राजनीति के लिए 2023 और 2024 महत्वपूर्ण वर्ष माने जा रहे हैं। बहुत सारे प्रश्न राजनीतिक गलियारों में पिछले कुछ महीनों से हिलोरे ले रहे हैं और माना जा रहा है सूर्य के उत्तरायण होते ही इन प्रश्नों के उत्तर मिलना शुरू होगे जिसकी प्रतीक्षा भी बढ़ गई है।
दरअसल, चुनावी वर्ष राजनीति के क्षेत्र में उसी तरह महत्वपूर्ण हो जाता है जिस तरह परीक्षार्थियों के लिए परीक्षा का महीना और प्रदेश में 2023 में विधानसभा के आम चुनाव होना है और 2024 में लोकसभा के आम चुनाव होना है जिसके लिए चुनावी जमावट राजनीतिक दलों द्वारा अंतिम रूप दिए जाने के दौर में है और सूर्य के उत्तरायण होते ही किस तरह की जमावट राजनीतिक दल करेंगे।
इन प्रश्नों के उत्तर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। खासकर सत्ताधारी दल भाजपा कि जिस की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक 16 और 17 जनवरी को हो रही है उसमें 9 राज्यों के साथ-साथ मध्यप्रदेश की राजनीतिक जमावट के क्या तरीके होंगे क्या मुद्दे होंगे किसको कौन सी चुनावी दृष्टि से जिम्मेदारी दी जाना है इसका भी निर्णय हो सकता है क्योंकि प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है या नहीं इस पर भी निर्णय हो जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है जिसमें मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा या घटेगा। भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के भी पुनर्गठन होने की संभावना भी जताई जा रही है। कौन संगठन में पहुंचेगा और कौन मंत्रिमंडल में आएगा इसका भी निर्णय अगले कुछ ही दिन में हो जाएगा।
बहरहाल, प्रदेश में राजनीतिक दलों की सक्रियता जिस तरह से बढ़ गई है सर्वे रिपोर्ट आ रही हैं उसके बाद सत्ता संघर्ष तेज हो गया है। दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस 2023 में हर हाल में सरकार बनाने के लिए बेताब है। ऐसे में दोनों ही दलों की चिंता संगठन की मजबूती बूथ पर चुनाव जीतने की रणनीति और बेहतर प्रत्याशियों का चयन करना चुनौती बना हुआ है। ऐसे में धारदार मुद्दों की तलाश भी इन दिनों को है। चौतरफा चुनौतियों से घिरे इन दलो को पार्टी के अंदर के हालात भी सुधारना है। यही कारण है कि छोटे-छोटे निर्णय लेने में भी पार्टी नेताओं को ना केवल लंबा वक्त लग रहा है वरन पसीना आ रहा है क्योंकि भुक्तभोगी की तरह दोनों दल आगे बढ़ रहे हैं।
2018 में छोटी-छोटी गलतियों के कारण जहां भाजपा सरकार बनाने में असफल रही। वहीं छोटी सी गलतियों के चलते ही कांग्रेस की सरकार डेढ़ साल में ही गिर गई अब भाजपा छोटी सी भी गलती नहीं करना चाहते किसी भी प्रकार के ओवरकॉन्फिडेंस में नहीं रहना चाहते और पूरी कोशिश कर रही है कि जनता के बीच जिनकी छवि अच्छी है जिनमें चुनाव जिताऊ क्षमता है, उनको आगे रखकर चुनावी रणनीति बनाई जाए और प्रत्याशी चयन में भी जीतने की योग्यता का मापदंड सबसे पहले माना जाए और इसके लिए जो भी जरूरी जमावट होगी जल्दी सामने आने की बातें चल रही है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस प्रदेश में सरकार गिरने के बाद ही सरकार बनाने की जिद में है। एक तरह से प्रतिशोध की ज्वाला में जल रही कांग्रेस 2023 में सरकार बनाने के लिए दबे पाव काम कर रही है और उनकी अपनी सर्वे रिपोर्ट है उनका उत्साह भी बढ़ा रही है लेकिन पार्टी के अंदर जिस तरह से गुटबाजी है जिसके चलते सरकार गिरी वह अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। यही चुनौती कांग्रेस को भारी भी पड़ सकती है। इस पर निजात पाने के लिए पार्टी कसरत भी कर रही है और पूरा फोकस अपना प्रत्याशी चयन पर बनाए हुए हैं।
कुल मिलाकर मकर संक्रांति से उत्तरण हुए सूर्य के बाद जहां सामाजिक जीवन में शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। वहीं राजनीतिक क्षेत्र में उन प्रश्नों के उत्तर की प्रतीक्षा बढ़ गई है जो पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक गलियारों में कोहरा बनाए हुए हैं।