नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को कर्ज देने का भारत विरोध रंग ला रहा है। भारत ने आईएमएफ और दूसरी संस्थाओं को बार बार बताया है कि पाकिस्तान कर्ज के पैसे से आतंकवाद का ढांचा मजबूत करेगा। इसके बाद आईएमएफ ने भारत के साथ तनाव पर पाकिस्तान को चेतावनी दी है और उस पर कई शर्तें लगाई हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो पाकिस्तान के एक अरब डॉलर यानी साढ़े आठ हजार करोड़ के बेलआउट प्रोग्राम की अगली किस्त रोकी जा सकती है।
आईएमएफ ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को बेलआउट प्रोग्राम के लिए खतरा बताया है। इसके साथ ही, कर्ज की अगली किश्त जारी करने के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई गई हैं। अब कर्ज लेने के लिए पाकिस्तान पर कुल शर्तें 50 हो गई हैं।
आईएमएफ की शर्तों में पाकिस्तान फंसा
बेलआउट प्रोग्राम की पहली समीक्षा बैठक में आईएमएफ ने कहा कि अगर तनाव जारी रहा या और बढ़ा, तो पाकिस्तान का रक्षा बजट लोन पर बोझ बन सकता है। ये पहले ही 12 फीसदी बढ़कर करीब दो लाख 40 हजार करोड़ पाकिस्तानी रुपया हो चुका है। पाकिस्तानी सरकार इसे 18 पीसदी बढ़ाकर ढाई लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपया करने पर अड़ी है। आईएमएफ इसे फंड के दुरुपयोग होने का संकेत मान रहा है।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड ने नौ मई को क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को 1.4 अरब डॉलर यानी करीब 12 हजार करोड़ का नया लोन दिया था। साथ ही, एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी ईएफएफ के तहत मिल रहे सात अरब डॉलर यानी करीब 60 हजार करोड़ रुपए की मदद की पहली समीक्षा को भी मंजूरी दी है। इससे पाकिस्तान को अगली किस्त के एक अरब डॉलर मिलेंगे।
आईएमएफ की कार्यकारी बोर्ड की मीटिंग में भारत ने पाकिस्तान को दी जा रही फंडिंग पर चिंता जताई और कहा कि इसका इस्तेमाल पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद फैलाने के लिए करता है। भारत समीक्षा पर वोटिंग का विरोध करते हुए उसमें शामिल नहीं हुआ। इससे पहले भी पाकिस्तान को कर्ज देने के मामले पर भी भारत ने वोटिंग का बहिष्कार किया था।
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