नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के मामले में भारत का रुख दुनिया को बताने के लिए जो डेलिगेशन भेजने का फैसला किया है उसे लेकर राजनीति तेज हो गई है। सरकार का साथ देने की बात करने वाली विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर निशाना साधा है। कांग्रेस ने अपनी पार्टी के सांसदों के चयन को सरकार की शरारत बताया है तो उद्धव ठाकरे की शिव सेना ने इसे बारात बता कर इसका बहिष्कार करने की बात कही है। इस बीच ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पटान ने इस डेलिगेशन में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
विदेश दौरे पर जाने के लिए कांग्रेस नेता के चयन को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार की शरारत करार दिया है। जयपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में सोमवार को गहलोत ने कहा, ‘शशि थरूर की ड्यूटी थी कि पार्टी को बताते। वे जब राजनीति में हैं, कांग्रेस से चुनाव जीतकर आते हैं, तो सांसद होने के नाते विपक्षी दल और सरकार उनको कोई ऑफर करें।
डेलिगेशन को लेकर बढ़ा राजनीतिक विवाद
ऐसे मामलों में तो उनको कहना चाहिए कि मुझे कोई दिक्कत तो नहीं आएगी, लेकिन आप पार्टी हाईकमान से बात करें’। गहलोत ने आगे कहा, ‘अगर थरूर वो बात कह देते तो यह इश्यू बनता ही नहीं देश में, उन्होंने वहां गलती की और सरकार की शरारत है वह सबके सामने हैं’। उन्होंने सरकार पर विपक्ष में फूट डालने का आरोप भी लगाया।
गहलोत ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पर भी निशाना साधा और कहा, ‘एक तरफ कह रहे हैं कि नाम नहीं मांगे, फिर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन क्यों किया? किरेन रिजिजू अब लीपापोती कर रहे हैं। मैसेज तो यही गया कि आपने फोन किया और चार नाम भेज दिए’। गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से भेजे गए चार नामों से सरकार ने सिर्फ एक नाम आनंद शर्मा का चुना। बाकी चार नाम सरकार ने अपनी पसंद से चुने।उधर तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान ने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का संदेश देने जाने वाले डेलिगेशन के साथ जाने से मना कर दिया है।
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि टीएमसी तय करेगी कि उनकी तरफ से डेलिगेशन में कौन जाएगा। केंद्र सरकार या भाजपा नहीं। पार्टी चाहती है कि उससे पूछ कर उनकी पार्टी का सदस्य डेलिगेशन में शामिल किया जाए। यूसुफ पठान के नाम जदयू के सांसद संजय झा के नेतृत्व वाले डेलिगेशन में था।
उद्धव ठाकरे की शिव सेना के नेता संजय राउत ने अलग विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने इस डेलिगेशन को बारात बताते हुए विपक्ष से इसका बहिष्कार करने की अपील की है। हालांकि विपक्ष के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने संजय राउत की इस मांग पर आपत्ति जताई है। पवार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दलगत राजनीति नहीं होनी चाहिए।
पवार ने बताया कि वे खुद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव के कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र गए थे। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले और पाकिस्तान की हरकतों को लेकर भारत का पक्ष रखने के लिए केंद्र कुछ प्रतिनिधिमंडल भेज रहा है। ऐसे में हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए।
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