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31-07-2025 Vol 19

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत कल से, हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा….

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Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व शक्ति, साधना और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है।

वैसे तो नवरात्रि का व्रत साल में चार बार आता है, जिसमें दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होते हैं। चैत्र और आश्विन माह में आने वाले नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि कहलाते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। यह समय अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि इस दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। (Chaitra Navratri 2025)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान शुभ मुहूर्त में अखंड ज्योत और कलश स्थापना करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।

इस दौरान श्रद्धालु नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में मां धरती पर निवास करती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। (Chaitra Navratri 2025

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चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूप…

मां शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, जो शांति और शक्ति का प्रतीक हैं।

मां ब्रह्मचारिणी – तपस्या की देवी, जो साधना और संयम को दर्शाती हैं।

मां चंद्रघंटा – सौम्यता और वीरता का प्रतीक, जो भक्तों को साहस प्रदान करती हैं।

मां कूष्मांडा – ब्रह्मांड की रचयिता, जो ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत मानी जाती हैं।

मां स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय की माता, जो वात्सल्य और करुणा की देवी हैं।

मां कात्यायनी – शक्ति और साहस की देवी, जो बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।

मां कालरात्रि – अंधकार और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने वाली शक्ति।

मां महागौरी – श्वेत आभा वाली देवी, जो पवित्रता और शांति की प्रतीक हैं।

मां सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों की दात्री, जो भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं। (Chaitra Navratri 2025) 

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत रविवार, 30 मार्च 2025 से हो रही है और इसका समापन 6 अप्रैल 2025 को होगा। पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसे नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त विशेष रूप से निर्धारित किया जाता है, ताकि पूजा का प्रभाव अधिकतम हो सके।

नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी (Chaitra Navratri 2025) 

हर वर्ष नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आगमन और प्रस्थान की सवारी भिन्न होती है, जो विभिन्न प्रकार के शुभ-अशुभ संकेत देती है। इस वर्ष नवरात्रि की शुरुआत रविवार के दिन हो रही है, इसलिए मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा का हाथी पर आगमन समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है। यह संकेत देता है कि यह वर्ष देश और समाज के लिए उन्नति और खुशहाली लेकर आएगा। (Chaitra Navratri 2025

कन्या पूजन

नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन नौ कन्याओं को भोजन कराकर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बालिकाओं में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का वास होता है और उनके पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

नवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का पर्व भी है। यह समय भक्ति, संयम, साधना और मां की कृपा प्राप्त करने का है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना कर हम अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

इस पावन पर्व पर मां दुर्गा सभी भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करें और सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें।(Chaitra Navratri 2025) जय माता दी!

घटस्थापना शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को कुल 4 घंटे 8 मिनट का समय मिलेगा। (Chaitra Navratri 2025) 

इसके अतिरिक्त, घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा, जिसमें भक्तों को कुल 50 मिनट का समय प्राप्त होगा। भक्तजन इस अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं।

नवरात्रि की शुरुआत जिस दिन से होती है, घटस्थापना भी उसी दिन की जाती है। अतः इस वर्ष 30 मार्च 2025 को घटस्थापना की जाएगी। (Chaitra Navratri 2025)  घटस्थापना के लिए निम्नलिखित शुभ मुहूर्तों का चयन किया जा सकता है:

प्रातः कालीन मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक

नवरात्रि व्रत एवं पूजा का महत्व (Chaitra Navratri 2025) 

चैत्र नवरात्रि के दौरान घटस्थापना का विशेष महत्व है। यह देवी दुर्गा की शक्ति और आराधना का प्रतीक है। भक्तजन नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं।

यह पूजा आत्मिक शुद्धि, सुख-समृद्धि और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होती है। इस दौरान भक्तजन विशेष रूप से कन्या पूजन, हवन और भंडारे का आयोजन करते हैं। (Chaitra Navratri 2025)

घटस्थापना नवरात्रि का प्रथम एवं महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसे शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक संपन्न करने से माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस अवसर पर श्रद्धालु पूर्ण आस्था और भक्ति के साथ माँ दुर्गा का पूजन-अर्चन करें और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि प्राप्त करें।

नवरात्रि पूजा सामग्री लिस्ट

नवरात्रि की पूजा सामग्री कुछ इस प्रकार हैं- रूई/बत्ती,धूप, घी और दीपक, फूल, दूर्वा, पंच पल्लव, 5 तरह के फल, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, अक्षत, सुपारी, नारियल, पंचमेवा, जायफल, जौ, कलावा, माता की लाल चुनरी, माता के लाल वस्त्र, माता की तस्वीर या अष्टधातु की मूर्ति, माता के शृंगार का सामान, लाल रंग का आसन और मिट्टी का बर्तन.

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ घटस्थापना से होता है। इस दिन घर को शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के लिए घर की साफ-सफाई करना अत्यंत आवश्यक है।

इसके बाद स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें और घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। शुभता के लिए आम या अशोक के पत्तों से तोरण सजाएं। (Chaitra Navratri 2025)

अब एक लकड़ी की चौकी पर स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके साथ ही मूर्ति के बाईं ओर भगवान गणेश की मूर्ति भी रखें। इसके बाद मिट्टी के पात्र में जौ बोकर उसे पूजा स्थल पर रखें।

कलश स्थापना के लिए एक तांबे, पीतल या मिट्टी के लोटे में जल भरकर उसमें थोड़ी मात्रा में गंगाजल और अक्षत डालें। फिर इस जल से भरे लोटे पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर जटा सहित नारियल स्थापित करें। (Chaitra Navratri 2025)

नारियल को लाल चुनरी या मौली से अच्छे से लपेट लें। इसके बाद विधिपूर्वक देवी का आह्वान करें और उन्हें चावल, रोली, सिंदूर, कुमकुम, हल्दी, पुष्प और भोग अर्पित करें। श्रृंगार सामग्री अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

पूजा के दौरान घी का दीपक जलाएं और मंत्रों के उच्चारण के साथ मां दुर्गा की आरती करें। यह विधि करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। (Chaitra Navratri 2025)

चैत्र नवरात्रि घटस्थापना की विधि

घटस्थापना करने के लिए प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मां दुर्गा का ध्यान करें। पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें। (Chaitra Navratri 2025)

घटस्थापना के लिए एक मिट्टी के पात्र में स्वच्छ मिट्टी डालकर उसमें जौ बोएं। इसके बाद इस पात्र के पास ही एक तांबे, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित करें। कलश में शुद्ध जल भरें और उसमें गंगाजल, दूर्वा, सुपारी, हल्दी की गांठ, लौंग और एक रुपये का सिक्का डालें।

अब कलश के ऊपर आम के पांच पत्ते इस प्रकार रखें कि वे चारों ओर फैल जाएं। इसके ऊपर मिट्टी का ढक्कन रखें और उस पर चावल या गेहूं रखें। (Chaitra Navratri 2025)

कलश के ऊपर जटा सहित नारियल रखें, जिसे पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाकर लाल चुनरी या मौली से लपेटा जाता है। इसके बाद विधिपूर्वक मां दुर्गा का आह्वान करें और पूजा सामग्री अर्पित करें।

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी स्वरूपों की पूजा (Chaitra Navratri 2025) 

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है।

मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जो शक्ति स्वरूपा हैं। इनकी पूजा से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। इस दिन मां को सफेद फूल, चावल, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत और भोग अर्पित किया जाता है। घी का दीपक जलाकर मंत्रों का उच्चारण करें और आरती करें।

इस प्रकार विधिपूर्वक घटस्थापना और नवरात्रि पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। (Chaitra Navratri 2025)

Naya India

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