टोरंटो। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने देश के संघीय चुनाव में जीत हासिल की। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा के अमेरिका में विलय की धमकियों और व्यापार युद्ध ने लिबरल पार्टी की इस जीत में अहम भूमिका निभाई।
‘कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन’ के अनुसार कार्नी के प्रतिद्वंद्वी कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलिवरे अपनी सीट हार गए। सोमवार को हुए चुनाव में ओटावा जिले का प्रतिनिधित्व करने वाली सीट पर हार से पोलिवरे का भविष्य दांव पर लग गया।
पोलिवरे को कुछ महीने पहले कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जा रहा था। माना जा रहा था कि वह एक दशक में पहली बार कंजर्वेटिव पार्टी को सत्ता तक पहुंचा देंगे। वरिष्ठ नेता पोलिवरे ने ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारे से प्रेरणा लेते हुए ‘कनाडा फर्स्ट’ का नारा दिया। लेकिन, ट्रंप की नीतियों से उनकी समानताओं ने अंततः उन्हें और उनकी पार्टी को नुकसान पहुंचााया।
शुरुआती रुझानों के आधार पर अनुमान जताया गया कि लिबरल पार्टी संसद की 343 सीट में से कंजर्वेटिव पार्टी से ज्यादा सीट जीतेगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि लिबरल पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलेगा या नहीं। बहुमत के लिए 172 सीटें चाहिए।
बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में लिबरल पार्टी को विधेयक पारित कराने और सत्ता में बने रहने के लिए छोटे दलों के साथ की जरूरत होगी। मतगणना के अंतिम रूझान के अनुसार लिबरल पार्टी 168 सीट पर बढ़त बनाए हुए है या जीत चुकी है। कार्नी ने संघीय चुनाव में लिबरल पार्टी की जीत के बाद अपने संबोधन में अमेरिका की धमकियों के सामने एकजुटता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कनाडा और अमेरिका ने जो पारस्परिक रूप से लाभकारी प्रणाली साझा की थी, वह समाप्त हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अमेरिकी विश्वासघात के सदमे से उबर चुके हैं, लेकिन हमें उससे मिले सबक कभी नहीं भूलने चाहिए।’’
कार्नी ने कहा, ‘‘जैसा कि मैं महीनों से आगाह कर रहा हूं कि अमेरिका हमारी जमीन, हमारे संसाधन, हमारा पानी, हमारा देश चाहता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये बेकार की धमकियां नहीं हैं। राष्ट्रपति ट्रंप हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अमेरिका हम पर कब्जा कर सके। ऐसा कभी नहीं होगा…कभी नहीं होगा। लेकिन हमें इस वास्तविकता को भी पहचानना होगा कि हमारी दुनिया मूल रूप से बदल गई है।’’