नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को ‘लिबरेशन डे’ मनाते हुए दुनिया भर के देशों पर अतिरिक्त 26 फीसदी टैक्स लगा दिया है। उन्होंने ऐलान तो किया था कि जैसे को तैसा टैक्स लगाएंगे यानी दूसरे देश अमेरिकी उत्पादों पर जितना टैक्स लगाते हैं अमेरिका भी उनके उत्पादों पर उतना ही टैक्स लगाएंगा। लेकिन अंत में उन्होंने जैसे को तैसा की बजाय टैक्स बढ़ा दिया। भारत पर ट्रंप ने 26 फीसदी टैक्स लगाया तो चीन पर 54 फीसदी टैक्स लगाया। ट्रंप ने सबसे ज्यादा 49 फीसदी टैक्स कंबोडिया पर लगाया है।
असल में उन्होंने जैसे को तैसा की बजाय एक दूसरा फॉर्मूला निकाला। दुनिया के देश अमेरिका के उत्पादों पर जितना टैक्स लगाते हैं ट्रंप ने उनके ऊपर उसका आधा टैक्स लगाया। भारत को लेकर ट्रंप ने कहा, ‘भारत बहुत सख्त है। मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं, लेकिन हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं’। ट्रंप ने कहा, ‘भारत अमेरिका पर 52 फीसदी तक शुल्क लगाता है, इसलिए अमेरिका भारत पर 26 फीसदी शुल्क लगाएगा’।
भारत ने 26 फीसदी टैक्स पर ट्रंप के शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद दी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया
ट्रंप के शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद भारत की ओर से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह 26 फीसदी शुल्क के असर का आकलन कर रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि इस शुल्क का कुछ क्षेत्रों पर असर होगा, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था इसे झेल सकती है। खबरों के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन में ऐसे प्रावधान हैं कि अगर भारत अमेरिका की चिंताओं को दूर करता है, तो शुल्क में कुछ छूट मिल सकती है। भारत इस दिशा में कदम उठाने पर विचार कर रहा है।
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ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इसकी घोषणा करते हुए कहा, ‘अन्य देश हमसे जितना शुल्क वसूल रहे, हम उनसे लगभग आधा शुल्क लेंगे। इसलिए शुल्क पूरी तरह से रेसिप्रोकल यानी जैसे को तैसा नहीं होंगे। मैं ऐसा कर सकता था, लेकिन यह बहुत से देशों के लिए कठिन होता। हम ऐसा नहीं करना चाहते थे’। भारत के अलावा चीन पर 34 फीसदी, यूरोपीय संघ पर 20 फीसदी, दक्षिण कोरिया पर 25 फीसदी, जापान पर 24 फीसदी, वियतनाम पर 46 और ताइवान पर 32 फीसदी शुल्क लगेगा। अमेरिका ने करीब 60 देशों पर उनके शुल्क की तुलना में आधा शुल्क लगाने का ऐलान किया है।
इसे लेकर भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वे ट्रंप के लगाए शुल्क का आकलन कर रहे हैं। भारत का फोकस जवाबी शुल्क लगाने पर नहीं, बल्कि बातचीत के जरिए अमेरिका की चिंताओं को दूर करने पर है। बहरहाल, अमेरिका में आने वाले सभी सामान पर 10 फीसदी बेसलाइन यानी न्यूनतम शुल्क लगेगा। न्यूनतम शुल्क पांच अप्रैल को और 60 देशों पर बढ़ाया हुआ शुल्क नौ अप्रैल को रात 12 बजे के बाद लागू होंगे।