भोपाल। भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार केंद्रीय ग्रह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज शाम राजधानी भोपाल पहुंच रहे हैं और पार्टी मुख्यालय में लगभग 4 घंटे पार्टी के चुनिंदा नेताओं से चर्चा करेंगे अचानक गलियारों में जहां सनसनी है वही सियासी पारा भी हाई हो गया है।
दरअसल इस वर्ष के अंत तक होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर लगभग सभी राजनैतिक दल अपनी अपनी विसात बचाने जुट गए हैं लेकिन राजनीति का पैटर्न बदलने वाले भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह जहां भी जाते हैं वहां राजनीतिक पारा चढ़ जाता है क्योंकि वे अलग तरह से राजनीतिक फैसले लेने वाले नेता माने जाते हैं। प्रदेश में किस तरह से पिछले 2 महीनों से अटकलों का बाजार गर्म है।
आज से ही मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ हो रहा है, सो विधायक और मंत्री भी राजधानी भोपाल में रहेंगे। सूत्रों की माने तो लगभग दो दर्जन नेताओं को राजधानी बुलाया गया है जिनके साथ बैठकर अमित शाह चर्चा करेंगे और पार्टी की आगे की रणनीति तय करेंगे। सीधे और सख्त लहजे में अपनी बात रखने के लिए शाह पार्टी नेताओं के बीच जाने जाते हैं। 2023 में प्रदेश में सरकार बनाने और 2024 सभी लोकसभा सीट जीतने के लक्ष्य को लेकर शाह नेताओं से दो टूक बात करेंगे। सभी को सामूहिकता के साथ काम करने की हिदायत देंगे एवं जिम्मेवारी भी तय करेंगे जिसमें किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कोई सौंपी गई जिम्मेवारी को बहन करने में असमर्थ है तो पहले ही बताना होगा। जिस तरह से प्रदेश में मामले उछल रहे हैं चाहे वह सीधी का पेशाब कांड हो, सागर का पिटाई का मामला हो, शिवपुरी का मामला हो सभी को लेकर पार्टी व सरकार की छवि को धक्का लगा है। चुनावी वर्ष में इस तरह की घटनाएं ना हो इसके लिए भी सत्ता और संगठन को ताकीद देंगे।
बहरहाल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भोपाल पहुंचने के पहले चुनाव प्रभारी के रूप में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की नियुक्ति एवं उनका इंदौर द्वारा भी बता रहा है। शाह प्रदेश में राजनीतिक समीकरणों को साधने में गंभीर है। एक दिन पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गी के साथ प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर चर्चा भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अमित शाह जिस प्रदेश पर भी चुनावी फोकस करते हैं उसके पहले पूरा खाका उनके सामने होता है। प्रदेश के नेताओं की कुंडली उनके दिमाग में होती है। कौन क्या कर रहा है, किस नेता की कितनी क्षमता है, इसका बारीकी से मूल्यांकन कर लेते हैं। यही कारण है उनके पास किसी की सिफारिश नहीं चलती। उनके फैसले परफॉर्मेंस के आधार पर होते हैं और जमीनी हकीकत जान लेने के बाद ही चुनावी जमावट करते हैं और शायद यही कारण है कि उनके फैसलों पर कयासबाजी करना किसी जोखिम से कम नहीं होता। अनेकों राजनीतिक फैसले ऐसे हैं जिसमें तमाम अटकलें बेमानी साबित हुई लेकिन उनके लिए गए फैसलों की बाद में सराहना भी हुई। जिस तरह से भाजपा को शून्य से शिखर पर ले गए और अनेकों ऐसे फैसले लिए हैं जिसकी केवल कल्पना ही की जा सकती थी। धीरे-धीरे पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह पार्टी में ऐसी धमक वाले नेता माने जाते हैं जिनके फैसले सर्वमान्य होते हैं किंतु परंतु यधपि लेकिन चूंकि की कोई गुंजाइश नहीं होती।
कुल मिलाकर जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह नितिन गडकरी प्रदेश के दौरे कर रहे हैं और पार्टी के रणनीतिकार अमित शाह ने प्रदेश पर अपना फोकस बना लिया है उससे समझा जा सकता है कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी बेहद गंभीर है। खासकर 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद पार्टी प्रदेश में किसी भी प्रकार की रिस्क नहीं लेना चाहती और आज अचानक से अमित शाह के दौरे ने एक तरफ जहां सियासी पारा चढ़ा दिया है वहीं पार्टी के आगे की रणनीति भी स्पष्ट हो जाएगी और आगे कयासो पर विराम लग जाएगा।