भोपाल। संभावनाएं जताई जा रही है की मार्च के पहले हफ्ते में लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो जाएगी और इसके पहले उम्मीदवार लगभग तय कर लिए जाएंगे ऐसे में प्रमुख दलों से टिकट के दावेदार इधर-उधर भटक रहे हैं लेकिन उनको वह खिड़की समझ में नहीं आ रही जहां से लोकसभा का कंफर्म टिकट मिलेगा। दरअसल राजनीति में अब इतनी घुमावदार हो गई है की आसानी से समझ में नहीं आती पहले एक पैटर्न हुआ करता था चाहे टिकट वितरण का हो या चाहे पार्टी में नेताओं को जवाबदारी देने का हो लेकिन अब कोई पैटर्न नहीं है जिस तरह से विधानसभा चुनाव की टिकट वितरण हुए मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्री का चयन हुआ और हाल ही में राज्यसभा के प्रत्याशी घोषित हुए उससे अब लोकसभा के टिकट की कहानी और भी उलझी हुई नजर आने लगी है किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर किस आधार पर किस मापदंड पर टिकट बांटे जाएंगे इसके बावजूद दावेदार अपना बायोडाटा लिए पार्टी दफ्तर में और नेताओं के निवास पर चक्कर काट रहे हैं।
बहरहाल दिल्ली में चले दो दिन भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में जिस तरह से नेताओं को आपसी मतभेद बुलाकर कमल को चुनाव जीतने के लिए 100 दिन कड़ी मेहनत करने के लिए कहा गया है उससे यह भी ध्वनि निकल रही है की प्रत्याशी अप्रत्याशित ही नजर आएंगे यह भी इशारों में कहा गया है की नए चेहरों को मैदान में उतर जाएगा यही कारण है की प्रदेश में लगभग एक दर्जन सांसद अपने टिकट को लेकर संशय में है वही दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन टिकट को लेकर निश्चित कोई नहीं है।
वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस में पूरी पार्टी ही कमलनाथ मैं उलझ गई और भले ही कमलनाथ वर्चुअल रूप से प्रदेश कांग्रेस की बैठक में जुड़े हो लेकिन छिंदवाड़ा जिले के सात कांग्रेसी विधायक बैठक में नहीं आने से अभी भी पूरी तरह से पिक्चर स्पष्ट नहीं हो पा रही और जब तक कांग्रेस पार्टी में प्रत्याशियों को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाएगा वैसे भी पार्टी में इस बार टिकट के लिए मारामारी नहीं है बल्कि कहीं-कहीं तो टिकट का ऑफर दिया जा रहा है।
कुल मिलाकर 2024 का लोकसभा चुनाव प्रत्याशियों पर काम पार्टी के चुनाव चिन्ह पर ज्यादा लड़ा जाएगा एक तरफ भाजपा जहां बदले हुए पैटर्न की राजनीति कर रही है शायद इसी कारण टिकट के दावेदारों को रास्ता नहीं सूझ रहा कि आखिर कहां से टिकट हासिल करें वहीं कांग्रेस में टिकट से ज्यादा जीत की संभावना को तलाशा जा रहा है जिसे कमलनाथ एपिसोड में और भी उलझा दिया है जाहिर है दोनों दलों की जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियों है उसमें कौन सी सीट से कौन लड़ेगा यह टिकट घोषित होने के बाद ही पता चल पाएगा।