nayaindia Rahul Gandhi Bharat Nyay Yatra कांग्रेस को राहुल की यात्रा से क्या चुनावी फायदा होगा?

कांग्रेस को राहुल की यात्रा से क्या चुनावी फायदा होगा?

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का रूट समझाते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से जो संदेश देशभर में गया है उसी को आगे बढ़ाने के लिए दूसरी यात्रा शुरू की जा रही है। जबकि  बीजेपी समर्थक दावा कर रहे हैं कि ‘हिंदुत्व’ के तूफान में ‘मोहब्बत की दुकान’ उड़ जाएगी। राहुल गांधी के सामने अपनी मोहब्बत की दुकान को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है। उससे भी बड़ी चुनौती ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान मिलने वाले जन समर्थन को वोटों में तब्दील करना है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर यात्रा पर निकल रहे हैं। पिछली बार राहुल गांधी ने  कन्याकुमारी से से जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। इस बारवे आठ महीनों से हिंसा से झुलस रहे मणिपुर की राजधानी इंफाल से मुंबई तक यात्रा करेंगे। इसे ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ नाम दिया गया है। 14 जनवरी से शुरू होने वाली यह यात्रा 20 मार्च तक चलेगी। इस दौरान राहुल गांधी देश के 110 जिलों, 100 लोकसभा और 337 विधानसभा सीटों से गुजरते हुए 6700 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करेंगे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी की इस यात्रा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कोई फायदा होगा?

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का समय महत्वपूर्ण है। यह वह समय है जब लोकसभा के चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। भाजपा पूरे जोर शोर से 22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बहाने हिंदू भावनाओं को उभार रही है। उन्हें वोटो में तब्दील करने की मुहिम में जुटी हुई है। वह ‘मोदी सरकार, तीसरी बार अबकी बार 400 पार’ का नारा देकर चुनाव मैदान में उतरेगी।  वहीं केंद्र और राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के बीच पैठ बनाने के लिए बीजेपी ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ भी निकाल रही है। इसके जरिए वह कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे संपर्क करके उन्हें वोटों में तब्दील करने की मुहिम में जुटी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से बीजेपी की जनता के बीच सीधे पैठ बनाने की कोशिशों का मुकाबला कर पाएंगे?

चुनाव प्रबंधन प्रभावित होगा?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का चुनावी प्रबंधन प्रभावित हो सकता है। कांग्रेस की इंडिया गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे पर बात चल रही है। इसे लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है। गुरुवार को कांग्रेस मुख्यालय पर बेहद अहम बैठक हुई इसमें राहुल गांधी की भारत जोड़ो ने यात्रा के रूप को भी अंतिम रूप दिया गया। वही सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर भी गहन चर्चा हुई। राहुल गांधी भी इन बैठकों में शामिल थे। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को आशंका है कि यात्रा की वजह से चुनावी तैयारियां प्रभावित हो सकती है। यही वजह है कि सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे की कवायत को राहुल गांधी की यात्रा से पहले पूरा कर लिया जाए। एक बार राहुल यात्रा पर निकल जाएंगे तो फिर वह बैठकों के लिए दिल्ली नहीं आ पाएंगे।

यात्रा का चुनावी रूट

इंफाल से मुबंई की समान्य दूरी करीब 3200 किलोमीटर है। लेकिन राहुल गांधी की यात्रा 6700 किलोमीटर ये भी ज्यादा की होगी। जाहिर है इसका रूट चुनावी फायदे को देखते हुए तैयार किया गया है। पहले यात्रा अरुणाचल प्रदेश से शुरु होनी थी। लेकिन बाद में इसे इंफाल से शुरु करने का फैसला किया गया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 8 महीने से हिंसा में झुलस रहे मणिपुर पर न कुछ बोले हैं और न ही वहां गए हैं। इसीलिए इस यात्रा को मणिपुर से शुरू किया जा रहा है। राहुल गांधी पहले भी हिंसा के दौरान मणिपुर होकर आए थे। अब वो मणिपुर से यात्रा शुरु करके बड़ा संदेश देना चाहते हैं। मणिपुर से फिर यात्रा अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करेगी और उसके बाद 15 राज्यों से गुजरते हुए मुंबई में जाकर पूरी होगी। जब तक यात्रा गुजरात और महाराष्ट्र पहुंचेगी उस समय तक लोकसभा चुनावों का ऐलान हो चुका होगा। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस यात्रा के असर को वोटों में तब्दील करने की कोशिश करेगी।

उत्तर प्रदेश को खास तवज्जो

भारतीय राजनीति में एक कहावत बड़ी मशहूर है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत बेहद खस्ता है पिछले चुनाव में उसे सिर्फ एक लोकसभा की सीट मिली थी। शायद यही वजह है कि राहुल गांधी अपनी इस यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी सबसे ज्यादा 11 दिन उत्तर प्रदेश में रहेंगे। इस दौरान वे राज्य के 20 जिलों और इतनी ही ही लोकसभा सीटों से होकर गुजरेंगे और 1074 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। यात्रा के दौरान राहुल गांधी हर दिन दो जगह लोगों को संबोधित करेंगे। इस हिसाब से उत्तर प्रदेश में यात्रा के दौरान राहुल गांधी की 40 सभाएं होगी। उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से प्रवेश करेगी और प्रयागराज, अमेठी रायबरेली, लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, बरेली, अलीगढ़ और आगरा होते हुए राजस्थान के धौलपुर में प्रवेश करेगी।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दिन और सबसे ज्यादा जिलों से गुजरा इस बात का संकेत है कि कांग्रेस इस बहाने ज्यादा सीट झटकने के लिए अखिलेश यादव पर दबाव बनाना चाहती है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस की प्रदेश इकाई 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। वहीं गठबंधन से बात करने के लिए बनी समिति ने करीब दो दर्जन सीटें छांटी हैं जिन पर वह मजबूत दावा पेश करेगी। लेकिन कांग्रेसी सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस करीब 15 सीटों पर चुनाव लड़ने पर राजी हो जाएगी। कांग्रेस चाहती है कि अगर वह 15 सीटे लड़ती है तो उसे उनमें से कम से कम 10 सीटें जीते भी। भारत जोडो न्याय यात्रा के जरिए राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में मरणासन्न पड़ी कांग्रेस को जिंदा करने की पूरी कोशिश करेंगे। हालांकि ऐसी कोशिश से पहले कई बार नाकाम साबित हो चुकी हैं। नई कोशिश क्या गुल खिलाएगी यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।

भारत जोड़ो यात्रा से क्या हासिल हुआ?

गौर करना ज़रूरी है कि पिछले साल हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से उन्हें और कांग्रेस को क्या हासिल हुआ? भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी को एक परिपक्व नेता के रूप में स्थापित करने में मदद की है। लेकिन चुनावी नतीजों के हिसाब से देखें तो यात्रा का मिला-जुला असर रहा। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 7 सितंबर 2022 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 30 जनवरी को श्रीनगर में खत्म हुई। इस दौरान गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव हुए। गुजरात में कांग्रेस बुरी तरह हारी लेकिन हिमाचल प्रदेश में दमदार तरीके से सत्ता में वापसी में कामयाब रही। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्नाटक में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए बीजेपी के मुकाबले दोगुनी सीटें दिल करके वह सत्ता में लौटी। हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तेलंगाना जीतने में कामयाब रही। राजस्थान और छत्तीसगढ़ की अपनी सरकार नहीं बचा पाई और नहीं मध्य प्रदेश में सत्ता में वापस कर पाई।

बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर के सहारे माहौल को गरमाने में लगी है‌। 22 तारीख को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद देशभर से राम भक्तों का अयोध्या आने का सिलसिला शुरु हो जाएगा। इससे उत्तर भारत में बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटरों की लामबंदी का माहौल बनता दिख रहा है। देशभर से आने वाले राम भक्तों के साथ गोधरा जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। बीजेपी हिंदू भावनाओं को उभारकर उत्तर भारत में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहती है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिम में महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों मैं अधिकतम सीटें जीत ली थीं। इन राज्यों में बीजेपी की सीटों में होने वाली कमी उसे सत्ता से बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है। लिहाज़ा बीजेपी हिंदुत्व के सहारे यहां अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है।

ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ अयोध्या के सहारे पैदा किया जा रही हिंदुत्व की नई लहर को रोक पाएंगे? पिछले साल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि वह ‘नफ़रत के बाजार’ में ‘मोहब्बत की दुकान’ खोलने आए हैं। इसका काफी असर पड़ा था। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का रूट समझाते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से जो संदेश देशभर में गया है उसी को आगे बढ़ाने के लिए दूसरी यात्रा शुरू की जा रही है। जबकि  बीजेपी समर्थक दावा कर रहे हैं कि ‘हिंदुत्व’ के तूफान में ‘मोहब्बत की दुकान’ उड़ जाएगी। राहुल गांधी के सामने अपनी मोहब्बत की दुकान को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है। उससे भी बड़ी चुनौती ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान मिलने वाले जन समर्थन को वोटों में तब्दील करना है।

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