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15-07-2025 Vol 19

‘मोदीजी’ ने मुनीर को बनाया विश्व नेता!

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ऐसा कभी नहीं हुआ जो प्रधानमंत्री मोदी के कर कदमों से हुआ है। मानों पाकिस्तान की प्राण प्रतिष्ठा हुई हो। पाकिस्तान के थल सेना प्रमुख आसिम मुनीर का रातों रात न केवल सेनापति के नाते वैश्विक जलवा बना है, बल्कि विश्व नेता का भी! पाकिस्तान ने मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया। और दुनिया की नंबर एक शक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति ने उसे व्हाइट हाउस में बतौर विश्व नेता लंच कराया। पांच दिन की अमेरिकी यात्रा में मुनीर के लिए अमेरिका ने न केवल प्रोटोकोल तोड़ा, बल्कि सही में एक नया प्रोटोकोल बनाया। ट्रंप के इनर सर्कल में पाकिस्तान के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री या रक्षा मंत्री अब नहीं हैं, बल्कि केवल जनरल मुनीर अकेले पाकिस्तान प्रमुख!

ऐसा क्यों? इसलिए क्योंकि अमेरिकी प्रशासन सहित दुनिया की हर महाशक्ति ने माना है कि ट्रंप प्रशासन ने जनरल मुनीर को मनाकर सीजफायर कराया। जनरल मुनीर ने सात मई को भारत के 22 मिनट के ऑपरेशन में जहां भारत के लड़ाकू विमान मार गिराए वही उसके बाद के दिनों में ड्रोन व मिसाइल से जवाब-प्रतिजवाब का जो सिलसिला हुआ तो ट्रंप के आगे भारत गिड़गिड़ाता हुआ था। और ट्रंप प्रशासन ने जनरल मुनीर से सीधी बात की और जनरल ने अमेरिका का कहना माना। इस अहसान को जतलाते हुए ही ट्रंप ने बुधवार को जनरल को लंच कराने के बाद मीडिया के आगे दोहराया कि,  “मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध को रोका। इस व्यक्ति [मुनीर] ने पाकिस्तान की ओर से इसे रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, भारत की ओर से मोदी और अन्य लोग शामिल थे”।

और यह बात पूरी दुनिया मानती है। भले भारत में मोदी सरकार कुछ कहे या हम भारतीय चाहे जो मानें। ध्यान रहे पाकिस्तान ने अमेरिका की भूमिका को माना है। इसी कारण ट्रंप के अब खास आसिम मुनीर हैं। यदि पाकिस्तान शांति के नोबेल पुरस्कार की कमेटी के आगे अपनी और से ट्रंप को पुरस्कार देने का पत्र भेजते हुए ट्रंप प्रशासन की सीजफायर करवाने की क्रमवार जानकारी, प्रमाण दे तो ट्रंप के इस दावे को कोई नहीं झूठला सकेगा कि उनके कारण दक्षिण एशिया में परमाणु युद्ध का खतरा टला। मतलब वे सचमुच अमन के मसीहा हैं। क्या मोदी सरकार लिखित में तब प्रतिवाद करेगी कि ट्रंप और पाकिस्तान दोनों का कहना झूठा है?

असल में अमेरिका, चीन, रूस या फ्रांस, ब्रिटेन सभी महाशक्तियों ने सेटेलाइट्स के अपने जासूसी तंत्रों से बूझ लिया है कि 7-8-9-10 मई को भारत और पाकिस्तान की सीमा पर क्या हुआ। इसी के साक्ष्य में ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर को सिर पर बैठाया है। जाहिर है भारत दुनिया की निगाह में गिरा है। भारत हाशिए का देश हुआ है और पाकिस्तान का महत्व बढ़ा है। इसलिए कि सात मई 2025 से पहले जैसे हम भारत के लोग मानते थे कि पाकिस्तान दिवालिया, बदहाल और सियासी तौर पर अस्थिर है। इसलिए दक्षिण एशिया में अब एकमेव भारत असल महाशक्ति है। और वह चीन से कंपीटिशन में, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू राजनीति में पश्चिमी देशों के लिए उपयोगी है। मगर अब दुनिया पाकिस्तान की इसलिए कायल है क्योंकि तमाम मुश्किलों के बावजूद पाकिस्तानी सेना ने अपने से बड़े-विशाल प्रतिद्वंद्वी भारत को सामरिक, रणनीतिक रूप से टक्कर दी। भारत ने अमेरिका को सीजफायर के लिए कहा।

निश्चित ही मोदी सरकार इसे झूठ करार दे रही है। पर प्रधानमंत्री मोदी, अजित डोवाल या जयशंकर में कोई भी अपने मुंह पर ट्रंप का नाम ला कर उन्हें झूठा नहीं कह सकता। इसलिए क्योंकि अमेरिका में तो इस तरह की कूटनीति का कॉल रिकॉर्ड भी रहता होगा।

तभी विश्व राजधानियों में भारत सरकार के इनकार का कोई अर्थ नहीं है। भारत की प्रतिष्ठा का जो फलूदा बनना था वह बन चुका है। ट्रंप द्वारा निजी तौर पर तथा अमेरिकी विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में जनरल मुनीर की मेहमानवाजी का अर्थ यह भी है कि अमेरिका के भरोसेमंद, अंतरंग फील्ड मार्शल जनरल मुनीर हैं जो पाकिस्तान के अघोषित पर असल राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सब हैं। पाकिस्तान पूरी तरह मुनीर की एकछत्रता का अब देश है। सोचें, वाशिंगटन के जिस होटल में जनरल मुनीर ठहरे, उसके आगे इमरान समर्थक पाकिस्तानियों ने प्रदर्शन किया। पर उसका किसी ने नोटिस नहीं लिया। इसलिए यह भी तय मानें कि जनरल मुनीर का कार्यकाल बढ़ेगा। वे 2030 तक सेना प्रमुख बने रहेंगे और इस दौरान वे भारत के लिए वह सब करेंगे, जिससे पाकिस्तान का और सैन्यीकरण हो। उनके एक हाथ में ट्रंप का लड्डू होगा तो दूसरे हाथ में चीन के शी जिनफिंग लड्डुओं की थाल सजाए रखेंगे। वही रूस के पुतिन उनके लिए पलक पावड़े बिछाए रखेंगे।

क्या आप नहीं मानते? मत मानिए। इसके आलावा हमारे पास विकल्प क्या है!

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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