अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि लोग अपने दुकानों पर गर्व से लिखें कि वे स्वदेशी बेच रहे हैं। लोग गर्व से कहें कि वे स्वदेशी खरीद रहे हैं। आत्मनिर्भरता का यह अभियान देशप्रेम और भारतीय से जोड़ दिया गया है। लेकिन सवाल है कि भारत के दुकानदार बनाते क्या हैं, जिसे वे स्वदेशी बता कर बेचेंगे? भारत की छोटी से लेकर बड़ी दुकानों तक में जो कुछ भी बिकता है वह तो बाहर से बन कर आता है। बड़े बड़े शोरूम में बिकने वाले ब्रांडेड कपड़े, जूते या परफ्यूम या इलेक्ट्रोनिक्स आइटम की बात करें या छोटी परचून की दुकानों में बिकने वाली अगरबत्ती, मोमबत्ती आदि की बात करें तो यह सब कुछ तो दूसरे देशों से आता है। भारत के लोग तो कब का बनाना बंद कर चुके हैं। वे सिर्फ व्यापार करते हैं। वे निर्माता नहीं, विक्रेता हैं। लोगों को निर्माण के लिए प्रेरित करने वाली योजनाएं कचरे में है, विफल हैं। लोग अपने कल कारखाने बंद कर चुके हैं या 2016 की नोटबंदी और 2017 के बिना सोचे समझे लागू किए गए जीएसटी कानून की वजह से खुद ही उनके कल कारखाने बंद हो चुके हैं।
जब भारत में कल कारखाने नहीं हैं, फैक्टरियां नहीं चल रही हैं और सारे लोग या तो सीधे बना बनाया माल लेकर बेच रहे हैं या कल पुर्जे लाकर भारत में असेम्बल करके बेच रहे हैं तो वे किस चीज को स्वदेशी बताएं? वैसे बताने को भारत के लोग आईफोन 17 को स्वदेशी बता दें क्योंकि उसे भारत में असेम्बल किया जा रहा है। मीडिया में बताया भी जा रहा है कि अमेरिका जाने वाला तीन-चौथाई आईफोन 17 भारत में बन रहा है। लेकिन क्या यह बात सही है कि आईफोन 17 स्वदेशी उत्पाद है? जिस तरह भारत में असेम्बल होने की वजह से आईफोन 17 स्वदेशी नहीं हो जाएगा वैसे ही दूसरे तमाम उत्पाद जिनको स्वदेशी बताया जा रहा है वे असल में स्वदेशी नहीं हैं।
हम जिन स्वदेशी विमानों की बात कर रहे हैं उनमें से भी ज्यादातर के इंजन विदेश से मंगा रहे हैं। यह हकीकत है कि आम आदमी के रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली किसी तकनीक को भारत में ईजाद नहीं किया गया है। आविष्कार करने या निर्माण करने की बजाय भारत के लोग सीधे दूसरे देशों से खरीद कर बेचने वाले व्यापारी बन गए हैं। इसलिए स्वदेशी बेचें या स्वदेशी खरीदें की अपील एक जुमले से ज्यादा कुछ नहीं है। न आत्मनिर्भर भारत की बात एक जुमले से ज्यादा है। अगर भारत को सचमुच आत्मनिर्भर बनाना है तो सरकार को सबसे पहले चीन के साथ कारोबार बंद कर देना चाहिए। उससे समस्या होगी लेकिन तभी रोजमर्रा की छोटी छोटी चीजों का विनिर्माण भारत में शुरू होगा। अगर अमेरिकी सर्च इंजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद कर दिए जाएं तभी भारत का अपना सर्च इंजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनेगा। जब तक ऐसे शॉक देने वाले फैसले नहीं होते है तो यकीन मानें जुमलेबाजी से कुछ नही बदलेगा।