भारत में इतना बड़ा घटनाक्रम हुआ। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इतने बड़े घटनाक्रम के बावजूद भारत के पड़ोसी देशों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है। किसी पड़ोसी देश ने आगे बढ़ कर भारत का साथ नहीं दिया। किसी ने आगे बढ़ कर भारत की सैन्य कार्रवाई का समर्थन नहीं किय़ा। उलटे चीन ने पाकिस्तान को अपना सदाबहार दोस्त बताया और कहा कि वह पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करेगा।
सोचें, संकट के समय पड़ोसी के काम आने की बात कही जाती है लेकिन यहां एक पड़ोसी ने भारत के लिए संकट खड़ा किया तो दूसरा कोई पड़ोसी पूछने तक नहीं आया। यहां तक कि नेपाल ने भी नहीं कहा कि वह भारत के साथ खड़ा है।
निश्चित रूप से भारत को अपने किसी पड़ोसी से सैन्य मदद की जरुरत नहीं है। लेकिन नैतिक समर्थन के लिए भी कोई देश सामने नहीं आया। पाकिस्तान तो लड़ ही रहा था और चीन उसका साथ दे रहा था। लेकिन नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव सहित कोई देश भारत को नैतिक समर्थन देने के लिए सामने नहीं आया। कई देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की। लेकिन वह एक मानवीय रुख था। वह तो चीन ने भी दिखाया था। यहां तक कि पाकिस्तान ने भी उस पर दुख जताया था। असली बात यह थी कि भारत की कूटनीतिक और सैनिक पहल का किसी ने समर्थन नहीं किया।
भारत को पड़ोसियों का कोई समर्थन नहीं मिला
अफगानिस्तान ने पहलगाम हमले की निंदा की तो विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बातचीत की। जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए मुत्ताकी को धन्यवाद दिया। इससे पहले अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के इस आरोप को खारिज कर दिया था कि भारतीय मिसाइलों ने अफगानिस्तान को टारगेट किया।
जयशंकर ने इस बात के लिए भी अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का शुक्रिया किया। पहली बार अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ भारत की मंत्री स्तर की बातचीत हुई थी। जयशंकर ने बताया कि भारत और अफगान लोगों के बीच जो पुराना दोस्ताना रिश्ता है, उसे दोहराया गया और भविष्य में इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर बातचीत हुई।
लेकिन इस बातचीत के तुरंत बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के साथ साथ अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी बीजिंग पहुंच गए, जहां चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ दोनों की मुलाकात हुई। इस मुलाकात में तय हुआ कि चीन की महत्वाकांक्षी सीपीईसी यानी चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का विस्तार अफगानिस्तान तक किया जाएगा। ध्यान रहे भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है। लेकिन भारत के साथ बातचीत करने के दो दिन के भीतर अफगानिस्तान ने चीन से समझौता कर लिया।
तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की साझा तस्वीरें भी जारी की गईं। भारत ने सार्क को निष्क्रिय कर दिया है और ऐसा लग रहा था कि जैसे भारत ने पाकिस्तान को अलग थलग कर दिया है। लेकिन अभी ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन देने के बावजूद दुनिया के अनेक देशों की आंखों का तारा बना है। चीन उसकी हर तरह से मदद कर रहा है तो दुनिया की तमाम आर्थिक संस्थाएं भी उसको खुले दिल से कर्ज दे रही हैं। भारत का विरोध कारगर नहीं हो रहा है।
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