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15-06-2025 Vol 19

टैरिफ युद्धः भारत के लिए मौका

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के 60 देशों पर जैसे को तैसा शुल्क लगाने का ऐलान किया तो भारत को छोड़ कर दुनिया भर के देशों की प्रतिक्रिया पैनिक यानी घबराहट वाली रही। पड़ोसी कनाडा और यूरोपीय संघ ने पलट कर टैक्स लगाने पर सोचना शुरू किया। चीन ने आज सभी अमेरिकी आयात पर 34 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की। लेकिन भारत में सब कुछ सामान्य दिख रहा है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से पहली प्रतिक्रिया में कहा गया कि भारत अभी अमेरिका की ओर से लगाए गए शुल्क के असर का आकलन कर रहा है।

हकीकत यह है कि भारत को भी अंदाजा है शुल्क का क्या असर होगा। ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 26 फीसदी शुल्क लगाया है। इसके बावजूद भारत ज्यादा चिंता में नहीं है तो उसका कारण है कि अमेरिका के साथ भारत का कारोबार अपेक्षाकृत बहुत कम है। विश्व व्यापार में वहन तीन का है न पांच का।

अमेरिका के साथ भारत का कारोबार 210 अरब डॉलर का है और अमेरिका के व्यापार घाटे में भारत का हिस्सा सिर्फ 3.8 फीसदी है, जबकि चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 24.6 फीसदी और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार घाटा 19.3 फीसदी का है। भारत से अमेरिका का व्यापार घाटा 45 हजार मिलियन डॉलर का है तो चीन के साथ लगभग तीन लाख मिलियन डॉलर का घाटा है। इसलिए भारत पर अमेरिका का ज्यादा ध्यान नहीं है। तभी भारत ज्यादा चिंतित नहीं है।

अमेरिकी टैरिफ का सबसे बड़ा असर चीन पर होगा। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिकी प्रहार का 28 फीसदी असर चीन पर और 16 फीसदी मेक्सिको पर होगा, जबकि भारत पर सिर्फ दो फीसदी असर होना है। भारत के लिए अच्छी बात यह भी है कि अमेरिका के साथ व्यापार संधि को लेकर भारत की वार्ता एडवांस स्टेज में है। दोनों देश आपसी कारोबार पांच सौ अरब डॉलर तक ले जाने का करार करने वाले हैं। यह करार हो जाएगा तो भारत को अपने आप बहुत से उत्पादों पर लगने वाले शुल्क से छूट मिल जाएगी।

वैसे ट्रंप ने दुनिया के सभी देशों के सामने यह विकल्प रखा है। उन्होंने कहा है कोई भी देश व्यापार संधि की अपनी योजना लेकर उनके पास आ सकता है।

टैरिफ युद्ध: भारत के लिए नए व्यापार अवसर

इसके बावजूद ट्रंप ने जो टैक्स लगाया है उससे भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर, जेम्स एंड ज्वेलरी, इलेक्ट्रोनिक्स गुड्स, छोटी विनिर्मित वस्तओं आदि का बाजार प्रभावित होगा। फार्मा सेक्टर के लिए मिलीजुली स्थिति है और कई जानकार मान रहे हैं कि उस पर असर नहीं होगा।

लेकिन कुछ अन्य सेक्टर प्रभावित होंगे। फिर भी ओवरऑल देश की अर्थव्यवस्था पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा। परंतु अगर सरकार तत्काल एक्शन मोड में आए और देश के कारोबारी हिम्मत दिखाएं तो भारत आपदा में अवसर बना सकता है। ट्रंप का टैरिफ वॉर भारत के लिए नए अवसर बनाने वाला साबित हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि चीन पर अमेरिका ने 54 फीसदी टैक्स लगाया है। वियतनाम के ऊपर 46 फीसदी और बांग्लादेश के ऊपर 37 फीसदी टैक्स लगाया है। इंडोनेशिया पर 32 फीसदी और श्रीलंका पर 44 फीसदी टैक्स लगाया है।

चीन 54 फीसदी शुल्क की वजह से अब अपना सस्ता उत्पाद अमेरिका में नहीं खपा सकता है। ऐसे समय में भारत अपने उत्पादों की बिक्री अमेरिका में बढ़ा सकता है। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिका में कम सामान बेचे और ज्यादा सामान खरीदे लेकिन ट्रंप के फैसले से अमेरिका में 20 फीसदी तक महंगाई बढ़ने की संभावना है। यही भारत के लिए संभावना है। भारत और चीन पर लगाए शुल्क में आठ फीसदी का अंतर है। इतने अंतर से दोनों के उत्पादों की कीमत में बहुत अंतर आ सकता है।

राष्ट्रपति ट्रंप उम्मीद कर रहे हैं कि चीन और अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने से अमेरिका में फैक्टरियां लगेंगी। लेकिन उनका अपना अनुभव भी रहा है कि ऐसा नहीं होता है। पहले कार्यकाल में भी उन्होंने टैरिफ बढ़ाया था। लेकिन उससे सिर्फ महंगाई बढ़ी, रोजगार के अवसर नहीं बढ़े। फिर भी मान लें कि फैक्टरियां लगती हैं तब भी वह लंबे समय का प्रोजेक्ट है। तत्काल अमेरिका को चीन से होने वाली आपूर्ति की भरपाई करनी है। वह काम भारत कर सकता है। इससे भारत को अपने विनिर्माण सेक्टर को मजबूत करने का मौका मिल सकता है।

चीन पर ज्यादा टैक्स की वजह से छोटे और तकनीकी उत्पादों का भारत का कारोबार बढ़ सकता है तो बांग्लादेश पर ज्यादा टैक्स की वजह से कपड़े के बाजार में भारत अपनी उपस्थिति मजबूत कर सकता है।

स्टील, एल्युमीनियम और ऑटो से संबंधित उत्पादों के भारतीय निर्यात पर ट्रंप ने 25 फीसदी शुल्क लगाया है। लेकिन फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर, तांबा और ऊर्जा उत्पादों पर कर नहीं लगाया गया है। इन सेक्टर में भारत के विकास के भरपूर अवसर उपलब्ध होंगे। भारत के कारोबारी मान रहे हैं कि ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए अमेरिका ने सेमीकंडक्टर को शुल्क से बाहर रखा है। भारत में सेमीकंडक्टर का एक बड़ा प्रोजेक्ट गुजरात में लग रहा है।

लेकिन उसके अलावा भारत पड़ोसी देशों पर ज्यादा टैक्स का फायदा उठा कर टेक्सटाइल से लेकर आईटी आधारित सेवाओं यानी कॉल सेंटर आदि के बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने फार्मा उद्योग को छूट दी है। गौरतलब है कि भारत से अमेरिका को फार्मा उत्पाद निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में से एक हैं। अमेरिकी बाजार भारत के दवा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है, जो इसके कुल निर्यात का 30 फीसदी है। अमेरिका को भारत के कृषि निर्यात के स्थिर रहने या कि बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि प्रतिस्पर्धी देशों को अधिक शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।

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Pic Credit : ANI

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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