जम्मू कश्मीर में राज्यसभा की चार सीटों के चुनाव से पहले अब्दुल्ला परिवार ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से वादा किया था कि वे नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवारों का समर्थन करें और बदले में नेशनल कॉन्फ्रेंस उनकी पार्टी की ओर से लाए गए लैंड बिल का समर्थन करेगी। पीडीपी प्रमुख ने इस वादे के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि उनकी बात नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला से हुई और उन्होंने वादा किया, जिसके बाद पीडीपी ने अपने तीन विधायकों को नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए वोट करने को कहा। गौरतलब है कि पीडीपी के समर्थन के बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन ही उम्मीदवार जीते और क्रॉस वोटिंग के कारण चौथी सीट पर भाजपा के सत शर्मा जीत गए।
राज्यसभा चुनाव के बाद जब महबूबा मुफ्ती की पार्टी का लैंड बिल वोटिंग के लिए आया तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इसका विरोध कर दिया। फारूक और उमर अब्दुल्ला की पार्टी ने इस मामले में भाजपा से हाथ मिला लिया और दोनों पार्टियों ने मिल कर बिल फेल कर दिया। इस बिल में उत्तर प्रदेश सरकार की बुलडोजर कार्रवाई जैसी कार्रवाई रोकने के प्रावधान किए गए थे। पीडीपी चाहती है कि जम्मू कश्मीर के लोगों का अपनी जमीन और मकान पर संपूर्ण अधिकार हो और किसी गड़बड़ी की स्थिति में भी उसे तोड़ा नहीं जा सके। उस पर बुलडोजर नहीं चलाय जा सके। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पार्टी और मुख्य विपक्षी भाजपा दोनों का मानना है कि ऐसा करने से सरकार के हाथ बंध जाएंगे। हालांकि यह बात अब्दुल्ला पिता, पुत्र को पहले भी पता था लेकिन राज्यसभा चुनाव में समर्थन के लिए दोनों इस पर चुप थे।


