यह सवाल हर आदमी पूछ रहा है कि आखिर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की अचानक सक्रियता के पीछे क्या कारण है? पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें कम होने के बाद से माना जा रहा था कि ईडी की कार्रवाई पर लगाम लगेगी और विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाना कम किया जाएगा।
चुनाव से छह महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईडी के निदेशक संजय मिश्रा को हटाया गया था। वे कई बार के सेवा विस्तार से करीब पांच साल तक पद पर रहे और उनके कार्यकाल में ही ईडी की सर्वाधिक कार्रवाई हुई। ईडी ने जितनी संपत्ति जब्त की है उसका 65 फीसदी उनके कार्यकाल में जब्त किया गया है।
क्या संजय मिश्रा की वापसी से बदली ईडी की रफ्तार?
उनके हटने के बाद ईडी की कार्रवाई सामान्य रूटीन में लौट रही थी। यह क्या महज संयोग है कि कुछ ही दिन पहले संजय मिश्रा को प्रधानमंत्री का आर्थिक सलाहकार परिषद का सदस्य बनाया गया और ईडी की गतिविधियों में तेजी आ गई? ईडी ने सोनिया और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपी बनाया है।
एक बार फिर ईडी ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ शुरू कर दी है। उधर पंजाब के आप विधायक कुलतार सिंह के यहां ईडी की छापेमारी हुई। भूपेश बघेल के यहां ईडी की छापेमारी हुई है। कई जानकार मान रहे हैं कि संजय मिश्रा की वापसी और ईडी की सक्रियता आपस में जुड़े हो सकते हैं।
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