घोड़े के आगे बग्घी लगाना एक मुहावरा है, लेकिन कांग्रेस ने इसे असल में करके दिखाया है। कांग्रेस पार्टी ने बिहार में सीट बंटवारे की बैठक से पहले स्क्रीनिंग कमेटी यानी छंटनी समिति की बैठक कर ली है। कांग्रेस ने अजय माकन को इस छंटनी समिति का अध्यक्ष बनाया था। वे पिछले महीने 13 अगस्त को पटना पहुंचे थे और कांग्रेस की टिकट के दावेदारों का इंटरव्यू किया था। स्क्रीनिंग कमेटी की दूसरी बैठक पिछले हफ्ते होने वाली थी, लेकिन उसे टाल दिया गया है। वह बैठक दिल्ली में होने वाली थी। सोचें, स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक हुई तो राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा भी शुरू नहीं हुई थी।
तभी कहा जा रहा है कि उम्मीदवारों को भीड़ लाने के लिए प्रेरित करने के मकसद से कांग्रेस ने स्क्रीनिंग कमेटी की एक बैठक कर ली और अब दूसरी बैठक नहीं कर रही है क्योंकि उसे पता नहीं है कि कौन कौन सी सीटें मिलेंगी। कांग्रेस की बिहार में दुर्दशा यह है कि पार्टी के पास पिछले करीब सात साल से राज्य की कमेटी नहीं है। जनता दल यू में जाने से पहले अशोक चौधरी ने जो कमेटी बनाई थी वह आखिरी कमेटी थी। उसके बाद मदन मोहन झा और अखिलेश प्रसाद सिंह अध्यक्ष बने लेकिन कमेटी नहीं बना पाए। मौजूदा अध्यक्ष राजेश राम भी कमेटी नहीं बना पाए हैं। यहां तक कि प्रदेश चुनाव समिति भी नहीं है। सोचें, बिना प्रदेश चुनाव समिति के कांग्रेस ने टिकटों के लिए छंटनी समिति की बैठक कर ली!