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पारस के साथ किसने धोखा किया

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के साथ किसने धोखा किया है? वे खुद कह रहे हैं कि उनके साथ भाजपा ने धोखा किया है। लेकिन असल में पशुपति पारस को जनता दल यू और नीतीश कुमार ने धोखा दिया। वे नीतीश कुमार के हाथ के मोहरे की तरह राजनीति कर रहे थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश की पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे और उनके दर्जनों सीटों पर चुनाव हरवाया था।

इसका बदला लेने के लिए नीतीश ने पशुपति पारस को मोहरा बनाया और उनको आगे करके चिराग पासवान की पार्टी में विभाजन करा दिया। उस समय नीतीश कुमार एनडीए में थे इसलिए सभी सांसदों ने उनका साथ दिया। लोजपा के छह में से पांच सांसद एक तरफ हो गए। नीतीश कुमार की सलाह पर केंद्र में पशुपति पारस को मंत्री बनाया गया और उनकी पार्टी को लोकसभा में मान्यता भी मिल गई। इतना ही नहीं चिराग पासवान ने 12, जनपथ का बंगला खाली कराया गया, जिसमें उनके पिता रामविलास पासवान दशकों तक रहे थे।

तभी पशुपति पारस का बचाव करने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार की थी। पारस ने उनके कहने पर परिवार की पार्टी का विभाजन किया था। लेकिन जब नीतीश कुमार एनडीए में वापस लौटे और भाजपा के साथ सीट बंटवारे पर बात की तो उन्होंने अपनी ओर से पारस के बारे में कुछ नहीं कहा। टिकट के बंटवारे के समय भाजपा ने पहले ही साफ कर दिया था कि असली और मुख्य लोक जनशक्ति पार्टी वह है, जिसके नेता चिराग पासवान हैं।

इसका नतीजा यह हुआ है कि भाजपा ने एक सांसद वाली पार्टी के नेता चिराग पासवान को पांच सीटें दे दीं तो पांच सांसद वाले पशुपति पारस को बिल्कुल छोड़ दिया। वे एक सीट लेकर भी एनडीए में रहने को तैयार थे। लेकिन चिराग की शर्त थी कि उनके चाचा पशुपति पारस को एनडीए में नहीं रखना है। वे इसमें कामयाब रहे। अगर नीतीश चाहते तो एक सीट दिला कर उनको एनडीए में रख सकते थे लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की।

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