बहुत पहले कहीं पढ़ा था कि खबर को प्रस्तुत करने के तरीके से उसका अर्थ बदल सकता है। जैसे अमेरिका और रूस के धावक की रेस लगी, जिसमें अमेरिकी धावक जीत गया, इस सामान्य सी खबर को रूस में मीडिया कैसे छापेगा? रूस में यह खबर ऐसे छप सकती है कि रूसी धावक दूसरे स्थान पर रहा और अमेरिकी धावक हारने वाले सिर्फ एक स्थान आगे था। इसमें तथ्यात्मक रूप से कुछ भी गलत नहीं है लेकिन इसका अर्थ बदल गया है। ऐसी ही खबर रविवार, तीन अगस्त को अखबारों में देखने को मिली। लगभग सभी अखबार ने इस खबर को काफी प्रमुखता से छापा है कि कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए दो नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिली है।
ये दो नेता हैं अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान। गांधीनगर के विधायक लवली को यमुना पार के विकास के लिए बने ट्रांस यमुना डेवलपमेंट बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि राजकुमार चौहान को विलेज डेवलपमेंट बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। मीडिया में तीन-तीन कॉलम में यह खबर छपी है कि दोनों को बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली है। सवाल है कि क्या खबर लिखने वालों में से किसी को पता नहीं है कि लवली और चौहान पहले क्या थे? लवली 20 साल पहले दिल्ली सरकार के मंत्री होते थे। वे दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। राजकुमार चौहान भी 20 साल पहले मंत्री होते थे और दिल्ली में कांग्रेस का दलित चेहरा थे। दोनों तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के चहेते मंत्री थे। लवली और चौहान एक समय अपने चेले चपाटों को बोर्ड या निगम का अध्यक्ष और सदस्य बनवाते थे। आज उनकी हैसियत यह रह गई है कि खुद बोर्ड का अध्यक्ष बने हैं तो मीडिया कह रहा है कि बड़ी जिम्मेदारी मिली है!