आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू क्या एनडीए के संयोजक बनना चाहते हैं? यह सवाल पुराना है, जिसका जवाब भाजपा दे चुकी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी देवगौड़ा ने संसद में अपने भाषण में यह बात कही थी। लेकिन भाजपा ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। परंतु उनकी इस बात के बाद अब यह चर्चा हो रही है कि क्या एनडीए की एक समन्वय समिति होनी चाहिए? यह सवाल इन दिनों इसलिए जोर पकड़ रहा है क्योंकि एक के बाद एक राज्यों में एनडीए के घटक दलों के बीच तनाव बढ़ने की खबरें आ रही हैं। बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाला है, जहां जदयू जैसी सहयोगी है, जिसके 12 लोकसभा सांसद हैं। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के छह सांसद हैं। चुनाव से पहले तालमेल बेहतर करने के लिए एक समन्वय समिति की बात उठ रही है। यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश ज्यादा सीटें लेने पर अड़े हुए हैं। यानी वे बिहार विधानसभा का चुनाव बड़े भाई की तरह लड़ना चाहते है।
उधर महाराष्ट्र में गठबंधन में तनाव की खबरें आ रही हैं। कहा जा रहा है कि उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नाराज हैं और उनको मनाने की कोशिश हो रही है। यह भी चर्चा है कि उनको केंद्रीय मंत्री बना कर दिल्ली लाया जा सकता है। परंतु यह मामला उप मुख्यमंत्री या केंद्रीय मंत्री का नहीं है। महाराष्ट्र में भाजपा सारी ताकत अपने पास रखने और पार्टी के अकेले बहुमत तक पहुंचने के प्रयास में लगी है। इससे सहयोगियों में संदेह पैदा हुआ है। उधर तमिलनाडु में भाजपा को नए सिरे से तालमेल करना है। वहां भी अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं। आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण के बीच सत्ता संघर्ष को भी संभालना है। इसलिए भाजपा के कई सहयोगी मान रहे हैं कि एक समन्वय समिति जरूर बननी चाहिए, जहां सभी घटक दलों की बात सुनी जा सके।