nayaindia election commission polling data मतदान के आंकड़ों का विवाद क्यों है?

मतदान के आंकड़ों का विवाद क्यों है?

पहले दो चरण के मतदान के अंतिम आंकड़े देर से जारी करने और उनमें बहुत ज्यादा बढ़ोतरी को विपक्षी पार्टियों ने खास कर कांग्रेस ने मुद्दा बनाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे लेकर सभी विपक्षी पार्टियों को एक चिट्ठी लिखी थी। बाद में चुनाव आयोग ने इसका जवाब भी दिया। लेकिन सवाल है कि पार्टियां इसका विवाद क्यों बना रही हैं? क्या पार्टियों को यह अंदेशा है कि मतदान के दिन यानी 19 और 26 अप्रैल को जितने वोट पड़े चुनाव आयोग के अंतिम आंकड़े में उससे ज्यादा बताया जा रहा है? गौरतलब है कि दूसरे चरण के मतदान के बाद जो अंतरिम आंकड़ा जारी हुआ था उसके मुकाबले अंतिम आंकड़े में 5.75 फीसदी ज्यादा मतदान दिखा। तभी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाया।

लेकिन क्या इन पार्टियों के नेताओं को नहीं पता है कि वे अपने उम्मीदवार से इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि मतदान केंद्र पर कितना वोट पड़ा है? हर मतदान केंद्र पर मौजूद पार्टियों के पोलिंग एजेंट्स को समूचा डाटा दिया जाता है। वैसे तो मतदान शाम पांच बजे या छह बजे समाप्त हो जाता है लेकिन उसके बाद भी जो लोग मतदान केंद्र पहुंच गए होते हैं उनका वोट डाला जाता है। मतदान केंद्र पर मौजूद अंतिम मतदाता के वोट डालने के बाद जब ईवीएम सील किया जाता है तब सभी पोलिंग एजेंट्स को एक फॉर्म दिया जाता है, जिस पर सारे आंकड़े लिखे होते हैं। उसमें बताया जाता है कि उस केंद्र पर कितने वोट हैं और कितने लोगों ने वोट डाला। मतदान केंद्र पर मतदाताओं के दस्तखत वाले रजिस्टर से पोलिंग एजेंट इसका मिलान कर सकते हैं। जब गिनती के दिन ईवीएम की सील खोली जाएगी और वोट की गिनती होगी तब मतदान के दिन मिले फॉर्म की संख्या से उसका मिलान होगा। तभी अगर अंतिम आंकड़ों में वोट बढ़ने की कोई भी आशंका है तो वह उम्मीदवार की तरफ से आनी चाहिए क्योंकि उसके पास हर बूथ पर पड़े वोट का लिखित आंकड़ा होगा।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें