भारतीय जनता पार्टी कमजोर प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल कर रही है। कई जगह तो ऐसा भी हुआ है कि भाजपा ने पहले पार्टियों को कमजोर किया और फिर उनसे तालमेल किया। इसका फायदा यह है कि भाजपा जिस तरह से चाह रही है उस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है और आगे के लिए यह रास्ता बन रहा है कि भाजपा जब चाहे तब इन पार्टियों को समाप्त कर दे या इनका विलय अपने में करा ले। Lok Sabha election 2024
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कह सकते हैं कि भाजपा इस बार के लोकसभा चुनाव में कई प्रयोग कर रही है, जिसका फायदा उसे आगे की राजनीति और चुनावों में होगा। तमिलनाडु से लेकर बिहार और महाराष्ट्र से लेकर ओडिशा तक भाजपा इस तरह के प्रयोग कर रही है।
महाराष्ट्र में पहले भाजपा का तालमेल शिव सेना के साथ था। लेकिन 2019 के चुनाव के बाद सत्ता के ढाई ढाई साल के बंटवारे की बात को लेकर शिव सेना अलग हो गई। उसके ढाई साल के बाद भाजपा के समर्थन से शिव सेना में विभाजन हो गया।
इसके एक साल के बाद भाजपा के सक्रिय समर्थन से शरद पवार की पार्टी एनसीपी का भी विभाजन हो गया। इन दोनों पार्टियों के कमजोर होने का फायदा भाजपा को यह हुआ है कि इन दोनों पार्टियों से तालमेल में भी उसे पुरानी शिव सेना से कम सीटें देनी पड़ रही है। Lok Sabha election 2024
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पिछली बार शिव सेना को भाजपा ने लोकसभा की 23 सीटें दी थीं। इस बार असली शिव सेना और असली एनसीपी दोनों को मिला कर सिर्फ 17 सीटें दे रही है। शिव सेना कोटे की बची हुई छह सीटें भाजपा लड़ेगी। इस तरह वह इस बार 31 सीटें लड़ेगी। अगर सहयोगियों की सीटों में कटौती हुई तो वह ज्यादा सीट भी लड़ सकती है। महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके बाद यह भी संभव है कि एकनाथ शिंदे की पार्टी का विलय भाजपा में हो जाए।
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इसी तरह की राजनीति भाजपा ने तमिलनाडु में की है। वहां अन्ना डीएमके से तालमेल में भाजपा बहुत छोटी सहयोगी थी। लेकिन अब भाजपा बड़ी सहयोगी पार्टी के तौर पर राज्य में गठबंधन कर रही है। अन्ना डीएमके में किनारे किए गए पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम और वीके शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरण के साथ भाजपा का तालमेल हो सकता है।
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चुनाव के बाद दोनों भाजपा में शामिल हो जाएं तो हैरानी नहीं होगी। कांग्रेस के दिग्गज रहे जीके मूपनार के बेटे जीके वासन की पार्टी तमिल मनीला कांग्रेस से भी भाजपा का तालमेल हो रहा है।
इसी तरह ओडिशा और बिहार में भाजपा ने दो पुराने सहयोगियों को किसी तरह से अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया है। नीतीश कुमार साथ में आ गए हैं और नवीन पटनायक से बात हो रही है। ये दोनों नेता अपने राजनीतिक करियर के आखिरी चरण में हैं। दोनों की उम्र बहुत हो गई है और सेहत से संबंधित समस्याएं हैं। इसके अलावा दोनों ने अपनी पार्टी का उत्तराधिकारी तय नहीं किया है।
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परिवार से किसी को आगे नहीं बढ़ाया गया है। सो, यह भाजपा के लिए आदर्श स्थिति है कि वह इन पार्टियों के साथ जुड़े और सही समय पर इनका विलय भाजपा में कराए। इस बार के गठबंधन के बाद दोनों पार्टियों की ताकत और कम होगी। उसके बाद विलय नहीं हुआ तो तोड़ फोड़ करके भी भाजपा इनके लोगों को अपने साथ शामिल करेगी।