लोकसभा चुनाव 2014 के पहले दो चरण के मतदान के आंकड़ों को लेकर लोगों की एक दिलचस्पी इस बात में थी कि महिलाओं ने कितना मतदान किया। चुनाव आयोग के मुताबिक पहले दो चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से कम रहा। पुरुषों ने 66.21 फीसदी मतदान किया तो दूसरी ओर 66.07 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले। महिलाओं का वोट पुरुषों के मुकाबले तो कम है ही पिछले बार के मुकाबले तीन फीसदी से ज्यादा कम है। पिछले कुछ समय से महिला मतदाताएं बड़ी संख्या में वोट डाल रही हैं और उसका फायदा नरेंद्र मोदी को हो रहा है। पूरे देश में महिला मतदान बढ़ने का फायदा भाजपा को है तो कई राज्यों में प्रादेशिक पार्टियों को भी इसका लाभ मिलता है। जैसे बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी को महिला मतदान बढ़ने का फायदा होता है। वे जब एनडीए में होते हैं तो यह लाभ ज्यादा हो जाता है। मिसाल के तौर पर 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं, जिसमें 99 सीटें ऐसी थीं, जिन पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोट डाले थे। यानी एनडीए को मिली कुल सीटों मं 80 फीसदी सीटें ज्यादा महिला मतदान वाली थीं। इसी तरह ओडिशा में नवीन पटनायक को इसका फायदा मिलता है।
लोकसभा चुनाव में महिलाओं के ज्यादा वोट डालने का स्पष्ट फायदा भाजपा और नरेंद्र मोदी को होता है। पिछले दो चुनावों में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। 2009 के लोकसभा चुनाव में कुल 42 करोड़ वोट पड़े थे, जिसमें 19 करोड़ महिलाओं के वोट थे। लेकिन 2014 में 55 करोड़ वोट पड़े इसमें महिलाओं ने 26 करोड़ और पुरुषों ने 29 करोड़ वोट डाले। यानी 2009 के मुकाबले सात करोड़ ज्यादा महिलाओं ने वोट डाला, जबकि पुरुषों के वोट में छह करोड़ की बढ़ोतरी हुई। 2019 के चुनाव में कुल 62 करोड़ वोट पड़े, जिसमें महिलाओं का वोट 30 करोड़ और पुरुषों का 32 करोड़ था। इस बार भी महिलाओं का वोट चार करोड़ बढ़ा, जबकि पुरुषों का वोट तीन करोड़ बढ़ा। अब 2024 में यह ट्रेंड बदलता दिख रहा है। पुरुषों के वोट थोड़े ज्यादा हैं लेकिन ओवरऑल महिला वोट में गिरावट आ रही है। अगर कम महिलाएं वोट डालती हैं तो इसका नुकसान भाजपा को हो सकता है।