राज्यसभा सांसद और बिहार के दिग्गज नेता अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह राजेश राम को अध्यक्ष बनाया गया। अखिलेश प्रसाद सिंह कोई दो साल अध्यक्ष रहे लेकिन गुटबाजी और केंद्र के हस्तक्षेप की वजह से वे अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए।
यह जरूर है कि जब उनसे बात किए बगैर जब कृष्णा अलावारू को प्रभारी बनाया गया और कन्हैया कुमार को यात्रा के लिए भेजा गया तभी वे भांप गए थे कि आगे क्या होगा और उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफा भेजने के बाद राहुल गांधी ने उनसे बात की और औपचारिकता के लिए उनको मनाने का प्रयास किया।
बिहार कांग्रेस अध्यक्षों का इतिहास: कौन बना, कौन चला गया?
अब सवाल है कि वे कांग्रेस में बने रहेंगे या अलग रास्ता लेंगे? अभी कम से कम इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक उनके कहीं जाने की संभावना नहीं है।
परंतु बिहार में कांग्रेस का इतिहास रहा है कि पार्टी ने जिन नेताओं को अध्यक्ष बनाया उनमें से ज्यादा ने बाद में पार्टी छोड़ी। सबसे ताजा उदाहरण अशोक चौधरी का है, जिनको राहुल गांधी ने चार साल अध्यक्ष बनाए रखा था। वे अध्यक्ष रहते एमएलसी और मंत्री बने लेकिन अध्यक्ष पद से हटने के तुरंत बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और जदयू में चले गए।
इसी तरह अनिल शर्मा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और अब पार्टी छोड़ कर भाजपा में चले गए। कांग्रेस अध्यक्ष रहे महबूब अली कैसर अध्यक्ष पद से हटने के बाद कांग्रेस छोड़ कर लोक जनशक्ति पार्टी में चले गए और उससे सांसद बने। तारिक अनवर कांग्रेस में लौट आए हैं लेकिन वे भी पार्टी छोड़ कर एनसीपी में चले गए थे। रामजतन सिन्हा भी अध्यक्ष पद से हटने के बाद पार्टी छोड़ कर गए। पुराने जमाने के अध्यक्ष सरफराज अहमद इन दिनों जेएमएम से राज्यसभा के सांसद हैं।
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