उत्तर प्रदेश में अचानक ‘आई लव मोहम्मद’ का अभियान कैसे शुरू हुआ? शुरू हुआ भी तो कोई 20 दिन के बाद नवरात्रों में अचानक बरेली में लोगों को इकट्ठा करने का फैसला कैसे हुआ और हिंसा कैसे भड़की? उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो भाषण दिया क्या उसे लिखने के लिए बॉलीवुड का कोई डायलॉग राइटर इस्तेमाल किया गया? ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि पूरे घटनाक्रम को लेकर उत्तर प्रदेश में सवाल उठ रहे हैं। कई पत्रकार और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स इस पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यह सब एक लिखित पटकथा के हिसाब से हुआ है। उनका कहना है कि अगर यह स्वंयस्फूर्त होता तो इतनी आसानी से समाप्त नहीं हो जाता। यह भी याद दिलाया जा रहा है कि संभल में लोग अपने आप जुटे थे और सबने देखा कि भीड़ कितनी उग्र हो गई और कई लोगों की मौत के बाद वह मामला शांत हुआ। लेकिन बरेली में निर्धारित मात्रा से ज्यादा कुछ नहीं हुआ।
जानकार सूत्रों का कहना है कि बरेली के मौलाना तौकीर रजा ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद लोगों से इकट्ठा होने की अपील की। लेकिन उनकी अपील पर ज्यादा लोग नहीं जुटे। फिर भी उन्होंने जूलुस निकाला, जिसे पुलिस ने लाठी चला कर तितर बितर कर दिया। लोग अपने घर चले गए और तौकीर रजा को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। उसके बाद असली खेल शुरू हुआ। उसके बाद लगातार दो दिन तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खूब डायलॉग बोले। उनका यह डायलॉग खूब हिट हुआ कि, ‘मौलाना भूल गए थे कि राज्य में किसकी सरकार है’। कहा जा रहा था कि मौलाना से ज्यादा भला किसको याद होगा कि राज्य में किसकी सरकार है। वे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जय जयकार करने के लिए ही जाने जाते थे।
बहरहाल, मुख्यमंत्री ने उस घटना के बाद लगातार हर सभा में कोई न कोई बढ़िया डायलॉग बोला या फिर सोशल मीडिया में पोस्ट लिख कर बताया कि वे क्या कर सकते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘याद रखना, जब भी दुस्साहस करोगे, ऐसे पिटोगे, जैसे बरेली के अंदर पीटे गए हो…’। सोचें, यह एक मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया पोस्ट है! इसके एक दिन बाद बलरामपुर में मुख्यमंत्री ने एक सभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि गजवा ए हिंद का सपना देखने वालों का जहन्नुम का टिकट कट जाएगा। यह खबर मीडिया में छपी तो खुद मुख्यमंत्री ने इसकी क्लिपिंग सोशल मीडिया में साझा की और लिखा, ‘गजवा ए हिंद का सपना देखने वालों… कट जाएगा जहन्नुम का टिकट’। मुख्यमंत्री ने एक दिन कहा, ‘जब भी हिंदुओं के त्योहार आते हैं तब इनको गरमी चढ़ जाती है इसलिए डेंटिंग पेंटिंग करनी पड़ती है’। हर जगह मुख्यमंत्री ने हम और वे का खुल कर नैरेटिव बनाया। बताया जा रहा है कि बरेली की घटना के बाद से मुख्यमंत्री की मीडिया टीम और सरकार का जनसंपर्क विभाग राउंड द क्लॉक काम कर रहा है। हर जगह सुनिश्चित किया गया कि घटना के वीडियो चले और उसके बाद यह भी कहा जा रहा है कि मीडिया टीम मुख्यमंत्री के भाषण के क्लिप काट काट कर मीडिया समूहों और इन्फ्लूएंसर्स को भेज रही है। कुल मिला कर यह परफेक्ट माहौल बन गया है। नवरात्री में ‘आई लव मोहम्मद’ का अभियान और पुलिस कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री का खुल कर हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव बनाना क्या डेढ़ साल बाद होने वाले चुनाव की तैयारी है या कुछ और आहट सुनाई दे रही है, जिसे टालना है?