वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल न्यायपालिका की स्वतंत्रता के चैंपियन हैं। इसलिए कहीं भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला कोई काम होता है तो वे उसके खिलाफ खड़े होते हैं। लेकिन क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग का मामला न्यायपालिका की आजादी को खतरे में डालने वाला है और यह किसी साजिश का नतीजा है? आम लोगों में ऐसी धारणा नहीं है। आमतौर पर माना जा रहा है कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली के लुटियन इलाके में स्थित बंगले में पांच पांच सौ रुपए के नोटों के जो बंडल मिले थे वह उन्हीं के थे। हालांकि जस्टिस वर्मा से इससे इनकार कर रहे हैं।
अब कपिल सिब्बल इसमें साजिश की संभावना देख रहे हैं। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और कांग्रेस की रेणुका चौधरी के साथ एक बातचीत में उन्होंने आशंका जताई कि कल को किसी जज के बंगले के आउटहाउस में कोई गांजा रख दे तो इसके लिए जज को सूली पर लटका दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि किसी ने जस्टिस वर्मा के बंगले में नकदी रख दी। लेकिन उनको लग रहा है कि अगर इसकी ठीक से जांच नहीं हुई तो यह बहुत आसान तरीका है, जजों को बदनाम करने और उस बहाने पूरी न्यायपालिका को कठघऱे में खड़ा करके उस पर कंट्रोल करने का। सो, कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा के लिए खड़े हुए। जस्टिस वी रामास्वामी के महाभियोग का मामला जब आया था तब भी सिब्बल उनके लिए खड़े हुए थे।