कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने एक दांव चला कि वे चुनाव जीत रहे हैं और इसलिए एक जून को ही बैठक बुला कर गठबंधन का नेता तय कर रही हैं और सरकार की रूप रेखा पर बात कर रही हैं तो दूसरी ओर भाजपा ने भी यह दांव चला है कि वह तीन सौ से ज्यादा सीट जीत चुकी है और अब चार सौ की ओर बढ़ रही है। इस नैरेटिव का दूसरा पार्ट यह है कि कांग्रेस बुरी तरह से चुनाव हार रही है और उसका ठीकरा फोड़ने के लिए वह बलि के बकरे की तलाश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों चुनाव प्रचार में लगातार यह बात कह रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कई बार कहा कि विपक्षी गठबंधन के शहजादे चार जून के बाद खटाखट विदेश भागेंगे। यानी चुनाव हार कर सब छुट्टियां मनाने विदेश जाएंगे। यह भाजपा के इस नैरेटिव का पार्ट है कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां चुनाव हार चुकी हैं।
इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी और अमित बार बार इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का जिक्र कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि चार जून को कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां चुनाव हार जाएंगी और उसके बाद ठीकरा ईवीएम पर फोड़ेंगी। ईवीएम पर हालांकि अब विपक्षी पार्टियां सवाल नहीं उठा रही हैं लेकिन भाजपा इस बहाने मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए हुई है। इसी तरह अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस में भाई बहन यानी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा हार की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। हार की जिम्मेदारी खड़गे को ही लेनी होगी। भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं की ओर से यह भी कहा गया कि खड़गे का पद ज्यादा समय तक उनके पास नहीं रहने वाला है। ये सारी बातें यह स्थापित करने के लिए कही जा रही हैं कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां चुनाव हार चुकी हैं ताकि आखिरी चरण में अगर कुछ मतदाता अनिर्णय की स्थिति में हों तो वे भाजपा के साथ जुड़ जाएं।