तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्ना डीएमके के सर्वेसर्वा ई पलानीस्वामी भाजपा के दबाव में नहीं आ रहे हैं। वे एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल लेकर दिल्ली आए थे और दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उन्होंने नए उप राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से भी मुलाकात की और उनको बधाई दी। यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी लेकिन चूंकि राधाकृष्णन तमिलनाडु के हैं और वहां की कोयम्बटूर सीट से दो बार सांसद रहे हैं, प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं तो उनसे अन्ना डीएमके प्रमुख का मिलना अपने आप में एक राजनीतिक मैसेज है। राधाकृष्णन को बधाई देने के बाद वे अमित शाह से मिले।
बताया जा रहा है कि पलानीस्वामी ने कह दिया है कि वे अपने हिसाब से काम करेंगे। उन्होंने अन्ना डीएमके से निकाले गए नेताओं को वापस लेने और पार्टी की एकता बनाने की संभावना से इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि भाजपा चाहती है कि जितने नेताओं को पार्टी से निकाला गया है या जो खुद पार्टी छोड़ कर गए हैं उनको वापस लाया जाए ताकि अन्ना डीएमके और भाजपा का गठबंधन अगले साल के विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर लड़ता दिखाई दे। इसमें मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम और शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरण को वापस लेने की बात है। लेकिन पलानीस्वामी इसके लिए राजी नहीं हैं। ऐसा लग रहा है कि उनके लिए विधानसभा चुनाव जीतने से ज्यादा जरूरी पार्टी पर अपना नियंत्रण बनाए रखना है। उनको पता है कि इन नेताओं को भाजपा का समर्थन है और उनके आने से पार्टी में पलानीस्वामी की पकड़ कमजोर होगी।