इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का विवाद भारत में खत्म नहीं हो रहा है। इसे लेकर हर समय कोई न कोई याचिका अदालत में लंबित रहती है और अदालत की ओर से कोई न कोई निर्देश दिया जाता है। हालांकि चुनाव आयोग और सर्वोच्च अदालत मोटे तौर पर इस बात पर सहमत हैं कि चुनाव ईवीएम से होना चाहिए और सौ फीसदी वीवीपैट मशीन की पर्चियों का मिलान ईवीएम से करने की जरुरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने हर विधानसभा क्षेत्र में पांच मशीनों की पर्चियों का मिलान करने का निर्देश दिया है। अब ईवीएम को लेकर कुछ नए बदलाव होने वाले हैं, जिनके लिए चुनाव आयोग सहमत हो गया है।
ईवीएम विवाद और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
असल में गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी थी, जिसमें कहा था कि ईवीएम के मामले में चुनाव आयोग की मानक संचालन प्रक्रिया यानी एसओपी अप्रैल 2024 में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नहीं है।
एडीआर ने कहा था कि ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर की जांच जरूरी है ताकि चुनाव की शुचिता बनी रही। इस पर चुनाव आयोग ने प्रस्ताव दिया कि अगर किसी ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगते हैं तो भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के इंजीनियर उसकी जांच करेंगे और प्रमाणपत्र देंगे कि मशीन की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट यानी एसएलयू सुरक्षित है। अदालत ने चुनाव आयोग को यह भी निर्देश दिया कि जांच के दौरान ईवीएम का डाटा नहीं मिटाया जाए और न दोबारा लोड किया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर कोई उम्मीदवार मॉक पोल कराना चाहता है तो आयोग को उसकी मंजूरी देनी होगी।
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