उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया तो सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया कांग्रेस की ओर से आई। कांग्रेस पार्टी पिछले तीन साल से लगाकार उप राष्ट्रपति से ऐसे लड़ती रही है, जैसे वे कांग्रेस के मुख्य विरोधी हैं। कांग्रेस के नेताओं ने सदन के अंदर उनके ऊपर भाजपा और केंद्र सरकार की मदद करने का आरोप लगाया। कांग्रेस और विपक्षी सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया, जिसे खारिज कर दिया गया। उसके बाद दोबारा भी महाभियोग लाने का प्रयास किया गया। लेकिन जब धनखड़ ने इस्तीफा दिया तो कांग्रेस नेताओं के आंसू निकलने लगे। कांग्रेस के नेता उनसे फैसले पर पुनर्विचार की अपील करने लगे। इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ के लिए उमड़े कांग्रेस प्रेम का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिख रहा है। तभी यह सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस को लग रहा है कि केंद्र सरकार और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से किसी विवाद की वजह से धनखड़ का इस्तीफा हुआ है और अगर कांग्रेस सद्भाव दिखाती है तो आगे धनखड़ से उसको राजनीतिक लाभ हो सकता है?
पता नहीं कांग्रेस के इस प्रेम का क्या कारण है लेकिन कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक लंबा सोशल मीडिया पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी लिखा कि प्रधानमंत्री को उनसे बात करके उन्हें मनाना चाहिए। जयराम रमेश इतने पर नहीं रूके उन्होंने यह भी लिखा कि धनखड़ देश के किसानों के हितों की आवाज खुल कर उठाते रहे। रमेश ने धनखड़ को ‘नियमों, प्रक्रियाओं और मर्यादा’ का पक्का बताया। रमेश ने पोस्ट में लिखा कि धनखड़ सार्वजनिक जीवन में बढ़ते अहंकार की आलोचना करते थे और न्यायपालिका की संयमित भूमिका पर जोर देते थे। रमेश ने यह भी लिखा कि मोदी की तीसरी सरकार में धनखड़ ने विपक्ष को भी बोलने का अच्छा मौका दिया था। ध्यान रहे सोमवार को सदन में मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार के खिलाफ खूब भाषण दिया और धनखड़ ने उनको नहीं टोका। एक समय तो सदन के नेता जेपी नड्डा ने खड़े होकर कहा कि यह सब रिकॉर्ड में नहीं जा रहा है, जबकि ऐसा कहने का अधिकार सिर्फ आसन के पास होता है।