तमिलनाडु के मदुरै में पार्टी कांग्रेस के बाद अब सीपीएम ने पश्चिम बंगाल की चुनावी तैयारी अकेले शुरू कर दी है। उसके लिए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव अहम हैं। उसको केरल में अपनी सत्ता बचानी है लेकिन वहां पार्टी को लड़ने में ज्यादा समस्य इसलिए नहीं है क्योंकि नौ साल से उसकी सरकार चल रही है।
इसी तरह तमिलनाडु में उसको डीएमके और कांग्रेस के साथ लड़ना है। लेकिन पश्चिम बंगाल में 14 साल पहले सत्ता गंवाने के बाद से पार्टी लगातार खत्म होती जा रही है। उसके पास कोई विधायक या सांसद नहीं है। पार्टी का संगठन बहुत खराब स्थिति में है। उसका काडर या तो ममता बनर्जी के साथ चला गया है या भाजपा के साथ हो गया है।
लेफ्ट ने बंगाल चुनाव की अकेले शुरू की तैयारी
लेकिन अगले साल के चुनाव से पहले सीपीएम ने अकेले चुनाव की तैयारी शुरू की है। पिछले दिनों सीपीएम के अनुषंगी संगठनों की एक बड़ी रैली कोलकाता के परेड ग्राउंड में हुई है, जिसमें पार्टी के नेता मोहम्मद सलीम ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा मिल कर खेल रहे हैं ताकि किसी तीसरी पार्टी के लिए जगह नहीं बचे।
इस रैली के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि लेफ्ट की रैली राज्य की राजनीति को एक नई दिशा देने वाली है। इसी तरह पिछले दिनों की कई घटनाओं को लेकर कांग्रेस तो खामोश रही लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी ने बंगाल से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन किया। यहां तक कि ममता बनर्जी लंदन गईं तो वहां भी लेफ्ट संगठनों की ओर से उनके कार्यक्रम में बाधा डाली गई और उनसे सवाल पूछे गए। सो, लेफ्ट अब अपने को मुकाबले में लाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि कांग्रेस अगर साथ नहीं आती है तो उसके लिए ज्यादा संभावना नहीं है।
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