यह लाख टके का सवाल है और जब राहुल गांधी को सलाह दे रहे कथित ‘जय जगत’ समूह की इतनी चर्चा हो रही है तो यह सवाल उठता है कि राहुल गांधी के सलाहकारों की पुरानी टीम क्या कर रही है? राहुल की टीम के कई सारे सदस्य पार्टी छोड़ कर चले गए हैं और सोनिया गांधी की जो टीम थी उसमें से कोई भी बचा नहीं है। जो सक्रिय राजनीति में हैं भी वे भी अपनी उम्र और पुराने अनुभव या जुड़ाव के कारण थोड़ा सम्मान पा रहे हैं। बाकी उनका भी कोई मतलबन नहीं रह गया है। फिर भी फिर भी राहुल गांधी के पास नेताओं की एक टीम है। उन्होंने 2009 में मनमोहन सिह की सरकार दोबारा बनने पर जिन नेताओं को आगे बढ़ाया था और संगठन से लेकर सरकार तक में अहम जिम्मेदारी दिलाई थी उनमें से भले ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा जैसे कुछ नेता छोड़ कर चले गए हैं फिर भी बहुत सारे नेता कांग्रेस में हैं।
ध्यान रहे उस समय राहुल गांधी के सामने बड़ी चुनौती थी। कांग्रेस की पुरानी टीम पूरी तरह से सक्रिय थी। प्रणब मुखर्जी से लेकर अहमद पटेल और पी चिदंबरम से कमलनाथ तक दर्जनों बड़े नेता या केंद्र में मंत्री थे या राज्यों में मुख्यमंत्री थे। फिर भी राहुल ने अपनी एक टीम बनाई थी। उसमें अजय माकन एक अहम नाम है, जो अभी पार्टी के कोषाध्यक्ष हैं। रणदीप सुरजेवाला हैं, जो राज्यसभा सांसद और कर्नाटक के प्रभारी हैं। दीपेंद्र हुड्डा हैं, जो लोकसभा सांसद हैं। सचिन पायलट हैं, जो इन दिनों राहुल के ज्यादा ही करीब दिख रहे हैं। भंवर जितेंद्र सिंह हैं, जो असम के प्रभारी हैं। इनके अलावा भी हर राज्य में और दिल्ली में भी अनेक नेता हैं। फिर भी कांग्रेस के अंदर ‘जय जगत’ समूह की चर्चा हो रही है और कहा जा रहा है कि सारे फैसले इस समूह की ओर से किए जा रहे हैं। इस समूह का नेता सचिन राव को बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसमें कृष्णा अल्लावरू, हर्षवर्धन सपकाल, मीनाक्षी नटराजन जैसे लोग हैं। सवाल है कि जब राहुल के सामने अनुभवी और भरोसेमंद नेताओं की टीम है तो फिर वे क्यों ऐसे नेताओं की सलाह से फैसले कर रहे हैं?


