जम्मू कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस में वैसे तो सब कुछ ठीक है लेकिन पार्टी के अंदर नाराजगी कम नहीं हो रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस को पिछले साल चुनाव में बड़ी जीत मिली और अभी राज्यसभा चुनाव में भी पार्टी ने चार में से तीन सीटें जीत लीं। फिर भी कम से कम दो सांसदों ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोला है। श्रीनगर के सांसद आगा रुहुल्ला मेहदी ने पहले पार्टी लीडरशिप के खिलाफ बयान दिया और अब अनंतनाग रजौरी के सांसद मियां अल्ताफ अहमद ने मोर्चा खोला है। उन्होंने कहा है कि राजनीतिक और शासन दोनों के मामलों में कोई सुधार नहीं हुआ है। हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ कुछ नहीं कहा लेकिन यह भी कहा कि अगर वे कमियां नहीं बताएंगे तो यह उमर अब्दुल्ला के साथ भी नाइंसाफी होगी।
मियां अल्ताफ अहमद की नाराजगी को मामूली नहीं माना जा सकता है। वे पार्टी के सबसे पुराने नेताओं में से एक हैं और अपने चुनाव क्षेत्र के बाहर भी उनका असर है। इसी तरह श्रीनगर के सांसद आगा रुहुल्ला मेहदी इतने नाराज हैं कि उन्होंने बडगाम सीट पर हो रहे उपचुनाव में पार्टी की ओर से आगा महमूद के लिए वोट मांगने जाने से मना कर दिया। जानकार सूत्रों का कहना है कि नाराजगी स्थानीय कारणों से है लेकिन कई लोग यह भी कह रहे हैं कि सरकार बनने के बाद पार्टी की ओर से राज्य के मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है। जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रयास शिथिल हो गया है। भाजपा के साथ मिलीभगत के आरोपों के कारण भी कई नेता नाराज हैं। राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा के साथ समझौता करने के आरोप लगे हैं।


