केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आठ अगस्त को बिहार के दौरे पर जाने वाले हैं। अभी तक के कार्यक्रम के मुताबिक वे आठ अगस्त को यानी सावन की पवित्र महीना खत्म होने से एक दिन पहले बिहार के सीतामढ़ी जाएंगे, जहां पुनौरा धाम में माता सीता के जन्मस्थली पर एक विशाल मंदिर की आधारशिला रखी जानी है। बिहार सरकार ने इस मंदिर निर्माण के लिए करीब नौ सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर सीतामढ़ी में सीता मंदिर का निर्माण होना है। अमित शाह इसकी आधारशिला रखे जाने के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस कार्यक्रम को भव्य और सफल बनाने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता राज्य भर में घूम रहे हैं और अक्षत बांट कर कार्यकर्ताओं व आम हिंदुओं को पुनौरा धाम पहुंचने का न्योता बांट रहे हैं।
सवाल है कि क्या अमित शाह बिहार चुनाव की कमान संभालेंगे या फिर सीतामढ़ी में एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद बिहार का रास्ता भूल जाएंगे? यह सवाल इसलिए है कि इससे पहले आखिरी बार अमित शाह चार महीने पहले मार्च के अंत में बिहार गए थे। वे दो दिन बिहार में रहे थे और 30 मार्च को गोपालगंज में सभा को संबोधित किया था। उसके बाद प्रधानमंत्री के दो कार्यक्रम हो चुके हैं। लेकिन अमित शाह का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। अमित शाह जून में बिहार जाने वाले थे और सीमांचल के अररिया में उनकी सभा होने वाली थी लेकिन ऐन मौके पर उनका दौरा टल गया। ध्यान रहे बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और उससे पहले अमित शाह बिहार चुनाव को लेकर बिल्कुल सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। दिल्ली में भी वे बिहार चुनाव की तैयारी करते नहीं दिख रहे हैं।
ध्यान रहे अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के सांसदों के साथ दिल्ली में बैठक की है। उन्होंने बंगाल में शुरू होने वाले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मामले में उनके साथ बातचीत की और चुनाव तैयारियों की चर्चा की। सोचें, बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण हो गया, बल्कि बिहार से ही इसकी शुरुआत हुई। लेकिन इस बारे में बिहार के नेताओं से उनकी कोई बातचीत नहीं हुई। वे पश्चिम बंगाल की तैयारियों में हिस्सा ले रहे हैं लेकिन बिहार को लेकर बहुत सक्रिय नहीं हैं। इसे लेकर कई किस्म के कयास लगाए जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा का चुनाव इस बार पूरी तरह से नरेंद्र मोदी की कमान में होना है। सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि पूरे एनडीए की ओर से मोदी का चेहरा दिखाया जाएगा और नाम व काम पर वोट मांगा जाएगा। नीतीश कुमार की सरकार का कामकाज भी होगा लेकिन उनकी सेहत को देखते हुए उनका चेहरा ज्यादा दिखाने से नुकसान का अंदाजा लगाया जा रहा है। हालांकि अगर प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ना है तब भी तो उसमें अमित शाह की अहम भूमिका होगी! हर जगह भाजपा मोदी के चेहरे पर ही लड़ती है और हर जगह अमित शाह चुनाव लड़ाते हैं। तभी बिहार से उनकी दूरी से सवाल उठ रहे हैं। ध्यान रहे सबसे पहले शाह ने ही कहा था कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। इसके बाद से ही नीतीश कुमार की दावेदारी पर सवाल उठ रहे हैं। बहरहाल, आठ अगस्त की उनकी यात्रा पर सबकी नजर रहेगी।