दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने तीन महीने हो गए हैं। हालांकि तीन महीना बहुत समय नहीं होता है, जो कहा जाए कि सरकार अपने लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रही है। लेकिन कम से कम तीन महीने में जो लक्षण दिखने चाहिए थे वह नहीं दिख रहा है। चारों तक अव्यवस्था का आलम है। बारिश का महीना शुरू होने वाला है और अभी तक नालों की सफाई यानी गाद निकालने का काम पूरा नहीं हुआ है। स्कूलों की बढ़ी हुई फीस के कारण अभिभावक नाराज हैं तो बिजली का बिल बढ़ाने का फैसला होने से लोग चिंता में हैं। इस बीच खबर है कि जिस यमुना की सफाई को लेकर इतना हल्ला मचा और भाजपा के सभी नेताओं ने इसकी कसमें खाई वह मई के महीने में पहले से ज्यादा गंदी हो गई है।
सोचें, जिस दिन दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी और रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बनीं उसके अगले दिन में यमुना नदी में कोई न कोई मशीन चलती हुई दिखती थी। सोशल मीडिया में चारों तरफ शेयर किया जाता था कि यमुना की सफाई का काम शुरू हो गया और अब यमुना ऐसी हो जाएगी, जैसी पहले कभी नहीं रही होगी। दस साल सत्ता में रही आम आदमी पार्टी भी इसे लेकर बैकफुट पर थी। लेकिन अब खबर आ रही कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मई के महीने में यमुना के पानी में मल की मात्रा बढ़ गई है और साथ ही अमोनिया और फॉस्फेट की मात्रा भी बढ़ गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक महारानी बाग, शाहदरा और नजफगढ़ जैसे बड़े नालों में भी गंदगी बढ़ गई है। ये गंदे नाले सीधे यमुना नदी में गिरते हैं। इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि हरियाणा से ही यमुना का पानी गंदा आ रहा है। सोचें, हरियाणा में करीब 11 साल से भाजपा की सरकार है। तीसरी बार वह जीती है वहां से यमुना गंदी हो रही है।