बुनियादी रूप से कुछ नहीं बदला
इस बार ऐसा लग रहा था बिहार में चुनाव वास्तविक मुद्दों पर लड़ा जाएगा। विकास से जुड़े बुनियादी सवाल उठेंगे क्योंकि प्रशांत किशोर ने दो साल की पदयात्रा से लोगों को जागृत किया था। लोगों को ललकारा था कि वे अपने बच्चों के चेहरे देख कर वोट करें। प्रशांत ने मुस्लिम बस्तियों में जाकर उनको ललकारा कि वे भाजपा के भय से राजद और कांग्रेस का बंधुआ बने रहेंगे तो उसी दुर्दशा की हालत में रहेंगे, जिसमें अभी हैं। यादवों को भी ललकारा कि वे कब तक जाति के नाम पर लालू परिवार की गुलामी करेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन, रोजगार...