सच बोलने की चुनौती
अब आवश्यकता देश की बहुसंख्यक जनता की वास्तविक स्थिति पर सार्वजनिक बहस की है, ताकि एक खुशहाल समाज बनाने की तरफ बढ़ा जा सके। वरना, वे हालात और गंभीर होंगे, जिनकी एक झलक चुनाव अभियान के दौरान देखने को मिली है। पिछले दस साल में भारत के लोगों की बढ़ी मुसीबत का प्रमुख कारण उनसे बोला गया झूठ या अर्धसत्य है। खासकर ऐसा आर्थिक मामलों में हुआ है। आर्थिक आंकड़ों को उनके पूरे संदर्भ में पेश करने के बजाय उनके भीतर से चमकती सूचनाओं को चुन कर इस तरह बताया गया है, मानों सबकी जिंदगी बेहतर हो रही हो। अभी...